निकहत जरीन और लवलीना बोरगोहाई ने विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप के फाइनल में भारत की ओर से “गोल्डन पंच” लगाया। निकहत इसके साथ ही दो स्वर्ण पदक अपने नाम करने वाली केवल दूसरी भारतीय महिला मुक्केबाज बन गईं। निकहत और लवलीना ने रविवार को स्वर्ण के साथ इंदिरा गांधी खेल परिसर में आयोजित महिला विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप का शानदार समापन किया।
इससे पहले शनिवार को 2022 राष्ट्रमंडल खेलों की पदक विजेता नीतू घणघस और तीन बार की एशियाई पदक विजेता स्वीटी बूरा ने स्वर्ण जीता था। भारत ने इसके साथ ही 17 वर्ष पूर्व मेजबानी में अपने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन (चार स्वर्ण) की बराबरी कर ली। सभी चार मुक्केबाजों को विश्व चैंपियन बनने के लिए पुरस्कार राशि के रूप में 82.7 लाख रुपये से सम्मानित किया गया।
निकहत ने सर्वसम्मति से दर्ज की जीत
भारतीय मुक्केबाजों में सर्वाधिक पांच मुकाबले जीतकर फाइनल में पहुंचीं निकहत ने दो बार की एशियाई चैंपियन वियतनाम की एनगुएन थि ताम के विरुद्ध अपने आक्रामक प्रदर्शन के साथ मुकाबले को आगे बढ़ाया और 5-0 से एकतरफा अंदाज में शानदार जीत हासिल करने में सफल रहीं। मौजूदा विश्व चैंपियन निकहत ने श्ाुरुआत से ही सटीक मुक्के मारकर और वियतनामी के हमलों को चकमा देने के लिए अपने तेज फुटवर्क का इस्तेमाल करके मुकाबले में अपना दबदबा कायम रखा। निकहत सभी जजों को प्रभावित करते हुए एकतरफा अंदाज में जीत हासिल करने में सफल रहीं।
नए भार वर्ग में कड़े प्रतिद्वंद्वियों को हराया
फ्लाइवेट से लाइट फ्लाइवेट में पहुंचने वाली तेलंगाना की इस 26 वर्षीय मुक्केबाज ने अपने नए भार वर्ग में भी पूरे टूर्नामेंट में उच्चस्तरीय प्रदर्शन किया। उन्होंने शीर्ष वरीयता प्राप्त अल्जीरिया की अफ्रीकी चैंपियन रौमेसा बौआलम, दो बार की विश्व चैंपियनशिप की कांस्य पदक विजेता थाइलैंड की चुथमत रक्सत और रियो ओलिपिक की कांस्य पदक विजेता कोलंबिया की इंग्रिट वालेंसिया के विरुद्ध बेहतरीन प्रदर्शन कर जीत हासिल की।
लवलीना ने तोड़ा कांस्य का सिलसिला
टोक्यो ओलिपिक की कांस्य पदक विजेता लवलीना बोरगोहाई ने 75 किग्रा वर्ग में कांस्य का सिलसिला तोड़ते हुए पहली बार पीला तमगा अपने नाम किया। दो बार की कांस्य पदक विजेता लवलीना ने आस्ट्रेलिया की कैटलिन पार्कर के विरुद्ध मुकाबले के रिव्यू के बाद 5-2 से मात दी। जीत दर्ज करने के बाद लवलीना ने कहा, मैं विश्व चैंपियन बनकर और अपने देश के लिए स्वर्ण जीतकर खुश हूं, चूंकि प्रतिद्वंद्वी मजबूत थी इसलिए हमने उसके खेल के अनुसार मुकाबले के लिए रणनीति बदल दी थी। हमारी योजना पहले दो राउंड फ्रंट फुट पर लड़ने और फिर आखिरी राउंड में दूरी से जवाबी हमला करने की थी। दो बार कांस्य जीतने के बाद इस बार पदक का रंग बदलकर काफी अच्छा लग रहा है।”” हालांकि, आस्ट्रेलियाई मुक्केबाज ने इस परिणाम का विरोध किया और निर्णय पर सवाल उठाए।