हिंद महासागर में चीनी नौसेना की गतिविधियों में असामान्य ढंग से तेजी आई है। चीनी जंगी पोतों की दोगुनी तो कभी तीन गुनी मौजूदगी देखी जा रही है। समुद्री शोध और निगरानी के नाम पर चीनी रिसर्च पोतों की संख्या भी बढ़ गई है, जो अत्याधुनिक सर्विलांस उपकरणों के साथ पहुंच रहे हैं। इस बीच भारतीय नौसेना ने पीएलए-नेवी की हलचल पर अपने निगरानी तंत्र को हाई अलर्ट पर कर दिया है।
भारतीय नौसेना चीनी जंगी पोतों की आवाजाही पर पैनीनजर रख रही है। निगरानी के लिए नौसेना अपने टोही विमानों, ड्रोन और पनडुब्बियों का भी इस्तेमाल कर रही है। नौसेना प्रमुख एडमिरल हरि कुमार के स्तर पर सैन्य और राजनीतिक नेतृत्व का इस बारे में पूरी ब्रीफिंग दी जा चुकी है। पाकिस्तान के बंदरगाह चीनी पोतों के लिए रसद और विश्राम का मुख्य अडडा बने हुए हैं।
आम तौर पर चीन के 10-12 पोत हिंद महासागर में मौजूद रहते थे। अब यह संख्या 20 और 30 तक पहुंच रही है। इन में 6 से 8 जंगी पोत, इतने ही रिसर्च वैसल, 4 से 6 पनडुब्बियां और 4 से 6 ट्रांसिट पोत हिंद महासागर में मौजूदगी दर्ज कर रहे हैं।
चीन ध्यान भटकाने के लिए समुद्र में गतिविधियां बढ़ा रहा है, ताकि लददाख और पूर्वी सेक्टर में कोई चाल चल सके। दूसरे, आसियान देशों के साथ भारतीय नौसेना के बढ़ते संबंधों से चीनी नौसना खार खाए हुए है। दक्षिण चीन सागर में अधिकतर आसियान देशों के साथ चीनी सेना का विवाद चल रहा है।