कर्नाटक सरकार ने 1 जून से राज्य के सभी मंदिरों को खोलने का ऐलान किया है। मंदिर खोलने का ऐलान करने के बाद राज्य सरकार ने निर्देश जारी करते हुए कहा है कि दर्शन के लिए सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन करना अनिवार्य होगा। कर्नाटक के मंत्री के. श्रीनिवास पुजारी ने कहा कि राज्य में मंदिर एक जून से जनता के लिए खोल दिए जाएंगे जो कोरोना वायरस के मद्देनजर लागू लॉकडाउन के चलते दो महीने से अधिक समय से श्रद्धालुओं के लिए बंद हैं। उन्होंने कहा कि कर्नाटक सरकार ने 1 जून से मंदिर खोलने का फैसला किया है। इसे लेकर जल्द ही गाइडलाइंस जारी की जाएगी। लोगों को एसओपी का पालन करना अनिवार्य़ होगा।
वहीं आज से कर्नाटक के 52 मंदिरों में ऑनलाइन सेवा बुकिंग शुरू हो जाएगी। 31 मई तक मंदिरों को खोलने को लेकर सभी तैयारियां कर ली जाएंगी। दरअसल मंदिरों के पुजारी और भक्त दोनों मंदिर खोलने की मांग कर रहे थे, जिसके बाद सरकार ने ये फैसला लिया है। मंत्री ने ये साफ किया कि मंदिर पूजा और दैनिक संस्कार के लिए खुलेंगे। इसके अलावा मंदिरों में मेले और कार्यक्रमों की अनुमति नहीं दी जाएगी। राज्य में 34 हजार से अधिक मंदिर हैं जो मुजरई विभाग के तहत आते हैं। अधिकारियों ने हाल ही में पता चला था कि विभाग एक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) तैयार करने की योजना बना रहा है, जिसका अनुपालन लॉकडाउन के बाद मंदिरों के जनता के लिए फिर से खुलने पर करने की आवश्यकता होगी।
इस बीच सरकार का यह आदेश विवादों में घिर गया है। कर्नाटक कांग्रेस के एक विधायक ने पूछा है कि सिर्फ मंदिरों को क्यों खोला जा रहा है। बेंगलुरु के शांतिनगर क्षेत्र से कांग्रेस एमएलए एनए हैरिस ने आरोप लगाया है कि कर्नाटक सरकार सांप्रदायिक राजनीति कर रही है। विधायक ने सभी धार्मिक स्थल खोले जाने की मांग की है। एमएलए एनए हैरिस ने कहा कि चर्च और मस्जिदों को भी खोला जाना चाहिए। कांग्रेस विधायक ने येदियुरप्पा सरकार पर धर्म की आड़ लेकर सियासत करने का भी आरोप लगाया।