भारत विविधताओं देश है। हमारी संस्कृति, विचार, खान-पान और रहन-सहन काफी काफी अलग है। मगर आपने कभी ऐसे समुदाय के बारे में सुना है, जहां शादी के बाद दुल्हन, दूल्हे के घर नहीं जाती, बल्कि दूल्हा ही दुल्हन के घर पर आकर रहता हो। मेघालय की खासी जनजाति, मेघालय राज्य में खासी समुदाय महिलाओं के अधिकार का सबसे अच्छा उदाहरण है। इस राज्य की 25 फीसदी आबादी इसी समुदाय से ताल्लुक रखती है। ये सभी समुदाय मातृसत्तात्मक हैं। इस समुदाय में माता-पिता की संपत्ति पर पहला अधिकार महिलाओं का होता है। परिवार की सबसे छोटी बेटी पर सबसे अधिक जिम्मेदारी होती है। वहीं घर की संपत्ति की असली मालिकन भी होती है। इस समुदाय के लोगों को जीवनसाथी चुनने की आजादी है। साथ ही महिलाएं अपनी इच्छा पर किसी भी समय अपनी शादी को तोड़ सकती हैं।
खासी जनजाती के अलावा मेघालय की अन्य दो जनजातियों (गारो और जयंतिया) में भी यही प्रथा है। दोनों जनजातियों में यही व्यवस्थाएं चलती है। यहां भी शादी के बाद दूल्हा, अपने ससुराल में जाकर रहता है। जहां एक ओर जहां देखा जाता है कि लड़का होने पर ज्यादा खुशी मनाई जाती है, वहीं इस समुदाय में इसके उलट होता है। इस समुदाय के लोगों का संगीत के प्रति विशेष जुड़ाव होता है। ये विभिन्न तरह के वाद्य यंत्रों जैसे गिटार, बांसूरी, ड्रम आदी को गाते बजाते हैं.