गुरू को भगवान के तुल्य माना गया है और हो भी क्यों न। अपने स्टूडेंट को अच्छे और बुरे की सीख देने वाला गुरू ही होता है। एक समय था जब गुरू के रूप में आमतौर पर अधिक उम्र वाले और अनुभवी को देखा जाता था लेकिन आज के आधुनिक समय में गुरू की परिभाषा भी बदल गई है। इसका उदाहरण राजधानी की नेहा पटनायक हैं, जिन्होंने मात्र 21 साल की उम्र में पूरी दुनिया की सबसे कम उम्र की गुरू होने का खिताब मिला है। नेहा कुचुपुड़ी और भरतनाट्यम की डांसर हैं। इससे अलग उनसे भरतनाट्यम और कुचुपुड़ी सीखने वाले स्टूडेंट उन्हे गुरू जी कहकर पुकारते हैं। आज शिक्षक दिवस के दिन आईए जाने एक समान्य सी लड़की खुद सीखते-सीखते कैसे गुरू की उपाधी के लायक बन गई।
कम उम्र में नेहा ने गुरू की उपाधी पारकर राज्य और देश नहीं बल्कि दुनिया में अपनी कला का डंका बजाया है। नेहा कई बैच में लोगों को कुचुपुड़ी सिखाती हैं, इसमें कम उम्र की बच्चियों से लेकर 34 साल की महिला तक शामिल हैं। गुरू नेहा की क्लास में उनकी उम्र से भी अधिक उम्र के लोग उनसे डांस सीखने आते हैं।
बनाया है कई रिकार्ड
मात्र 21 साल की उम्र में गुरू का दर्जा पा चुकी नेहा पिछले 4 साल से लोगों को तालीम दे रही है। वह खुद मात्र ढाई साल की उम्र से डांस सीखना शुरू कीं थी। करीब 12 साल सीखने के बाद आज वह लोगों को ट्रेंड कर रही हैं। नेहा ने कई रिकार्ड भी बनाए हैं, जिनके लिए उन्हें अवार्ड मिला है। नेहा को तेलंगाना व आध्रप्रदेश की सरकार ने वर्ड यंगेस्ट गुरू जी का अवार्ड दिया है। इसके अलावा हाल ही में उन्होंने वर्ड तेलगू कलव्चरर फेस्ट में हिस्सा लेकर पूरी दुनिया के 1800 कुचुपुड़ी के प्रतिभागियों को पीछे कर टॉप 8 की रैंकिंग आया है। इसके साथ ही उन्होंने एशियन बुक आॅफ रिकार्ड, इंडियन कल्चर बुक आॅफ रिकार्ड अवार्ड आफ कॉटीनेंटल आफ रिकार्ड भी बनाया है।
15 बच्चों को निशुल्क सिखाती हैं
गुरू कहती हैं कि सही गुरू वही है जो अपनी कला और अपने ज्ञान को हर किसी को देने के लिए तत्पर रहे। ऐसे कई स्टूडेंट आते हैं, जो फीस नहीं पटा पाते ऐसे लोगों को वह निशुल्क सिखाती हैं। ऐसा करने से मानसिक शांति मिलती है। नेहा हेन्डीकेप्ट बच्चों को भी डांस सिखाती हैं। फिलहाल ऐसी दो बच्ची को वे ट्रेंडकर रही है जो कि हेन्डीकेप्ट हैं। ऐसे बच्चों को भरतनाट्यम जैसी चीज सिखाना उनके लिए चैलेंज होता है।
गुरू को भगवान के तुल्य माना गया है और हो भी क्यों न। अपने स्टूडेंट को अच्छे और बुरे की सीख देने वाला गुरू ही होता है। एक समय था जब गुरू के रूप में आमतौर पर अधिक उम्र वाले और अनुभवी को देखा जाता था लेकिन आज के आधुनिक समय में गुरू की परिभाषा भी बदल गई है। इसका उदाहरण राजधानी की नेहा पटनायक हैं, जिन्होंने मात्र 21 साल की उम्र में पूरी दुनिया की सबसे कम उम्र की गुरू होने का खिताब मिला है। नेहा कुचुपुड़ी और भरतनाट्यम की डांसर हैं। इससे अलग उनसे भरतनाट्यम और कुचुपुड़ी सीखने वाले स्टूडेंट उन्हे गुरू जी कहकर पुकारते हैं। आज शिक्षक दिवस के दिन आईए जाने एक समान्य सी लड़की खुद सीखते-सीखते कैसे गुरू की उपाधी के लायक बन गई।
कम उम्र में नेहा ने गुरू की उपाधी पारकर राज्य और देश नहीं बल्कि दुनिया में अपनी कला का डंका बजाया है। नेहा कई बैच में लोगों को कुचुपुड़ी सिखाती हैं, इसमें कम उम्र की बच्चियों से लेकर 34 साल की महिला तक शामिल हैं। गुरू नेहा की क्लास में उनकी उम्र से भी अधिक उम्र के लोग उनसे डांस सीखने आते हैं।
बनाया है कई रिकार्ड
मात्र 21 साल की उम्र में गुरू का दर्जा पा चुकी नेहा पिछले 4 साल से लोगों को तालीम दे रही है। वह खुद मात्र ढाई साल की उम्र से डांस सीखना शुरू कीं थी। करीब 12 साल सीखने के बाद आज वह लोगों को ट्रेंड कर रही हैं। नेहा ने कई रिकार्ड भी बनाए हैं, जिनके लिए उन्हें अवार्ड मिला है। नेहा को तेलंगाना व आध्रप्रदेश की सरकार ने वर्ड यंगेस्ट गुरू जी का अवार्ड दिया है। इसके अलावा हाल ही में उन्होंने वर्ड तेलगू कलव्चरर फेस्ट में हिस्सा लेकर पूरी दुनिया के 1800 कुचुपुड़ी के प्रतिभागियों को पीछे कर टॉप 8 की रैंकिंग आया है। इसके साथ ही उन्होंने एशियन बुक आॅफ रिकार्ड, इंडियन कल्चर बुक आॅफ रिकार्ड अवार्ड आफ कॉटीनेंटल आफ रिकार्ड भी बनाया है।
15 बच्चों को निशुल्क सिखाती हैं
गुरू कहती हैं कि सही गुरू वही है जो अपनी कला और अपने ज्ञान को हर किसी को देने के लिए तत्पर रहे। ऐसे कई स्टूडेंट आते हैं, जो फीस नहीं पटा पाते ऐसे लोगों को वह निशुल्क सिखाती हैं। ऐसा करने से मानसिक शांति मिलती है। नेहा हेन्डीकेप्ट बच्चों को भी डांस सिखाती हैं। फिलहाल ऐसी दो बच्ची को वे ट्रेंडकर रही है जो कि हेन्डीकेप्ट हैं। ऐसे बच्चों को भरतनाट्यम जैसी चीज सिखाना उनके लिए चैलेंज होता है।