एपल और सैमसंग वित्त वर्ष 2021-22 में सरकार की उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना (पीएलआइ) के तहत लगभग पांच अरब डालर (37,000 करोड़ रुपये) के स्मार्टफोन बनाएंगी। यह केंद्र द्वारा निर्धारित लक्ष्य से 50 प्रतिशत अधिक है। भारत में बनने वाले पांच अरब डालर मूल्य के स्मार्टफोन में से लगभग दो अरब डालर के स्मार्टफोन निर्यात किए जाएंगे। पीएलआइ योजना के तहत कंपनियों को पांच वर्षों में लगभग 39,000 करोड़ रुपये का प्रोत्साहन दिया जाएगा। योजना का उद्देश्य भारत को मैन्यूफैक्चरिंग हब बनाना है।
इंडिया सेल्यूलर एंड इलेक्ट्रानिक्स एसोसिएशन (आइसीईए) के चेयरमैन पंकज मोहिंद्रू ने बताया कि एपल के लिए फोन निर्माता कंपनियां विस्ट्रान व पेगाट्रान समेत सैमसंग चालू वित्त वर्ष में पांच अरब डालर के उत्पादन का लक्ष्य हासिल कर लेंगी। भारत में एपल के लिए आइफोन बनाने वाले फाक्सकान और विस्ट्रान इस साल पहली बार पीएलआइ योजना का लाभ उठाएंगी। एपल के लिए आइफोन बनाने वाली दुनिया की दूसरी बड़ी कंपनी पेगाट्रोन द्वारा इस साल परिचालन शुरू किए जाने की संभावना है। सैमसंग दूसरे साल प्रोत्साहन योजना का लाभ उठाएगी। कंपनी की उत्तर प्रदेश के नोएडा में दुनिया की सबसे बड़ी मोबाइल हैंडसेट बनाने की फैक्ट्री है। मोहिंद्रू के मुताबिक लावा, पैडेट इलेक्ट्रानिक्स (डिक्सन) और यूटीएल जैसी देसी कंपनियां भी इस योजना का लाभ उठाने की कोशिश में हैं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले साल बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रानिक्स मैन्यूफैक्चरिंग के लिए पीएलआइ योजना को 2025-26 तक बढ़ा दिया था। हालांकि आधार वर्ष 2019-20 ही रखा गया है। योजना का मुख्य उद्देश्य देश में ही बड़े पैमाने पर मोबाइल फोन का निर्माण किया जाना है। एपल और सैमसंग मेड इन इंडिया स्मार्टफोन का निर्यात भी कर रहे हैं। वर्ष 2021 में एपल ने ब्रिटेन को 27, जापान को 24, नीदरलैंड्स को 23, जर्मनी को सात, इटली और तुर्की को चार-चार और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) को दो प्रतिशत आइफोन का निर्यात किया। सैमसंग ने जिन देशों को मेड इन इंडिया फोन का निर्यात किया है, उसमें यूएई को 47, रूस को 12, दक्षिण अफ्रीका को सात, जर्मनी को पांच, मोरक्को को चार और ब्रिटेन को तीन प्रतिशत मोबाइल फोन का निर्यात किया।