रायपुर। पौष्टिकता से भरपूर मुनगा को आयुर्वेद में महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है।
सहजन (मुनगा) लम्बी फलियों वाली एक सब्जी का पेड़ है जो भारत के साथ-साथ अन्य कई देशों में उगाया जाता है. सहजन के बारे में विज्ञान में प्रमाणित किया गया है कि इस पेड़ का हर अंग स्वास्थ्य के लिए अत्यधिक लाभदायक है. इसे अग्रेजी में मोरिंगा तथा ड्रमस्टिक ट्री कहते हैं. भारत में ज्यादातर लोग सहजन की फली को सब्जी व अन्य प्रकार के भोजन के रुप में इस्तेमाल करते हैं. सहजन के पेड़ की खासीयत यह है की इसका पेड़ कहीं भी आसानी से लग जाता है और इसे बहुत अधिक पानी की जरूरत नहीं होती. इसके साथ ही यह काफी तेज़ी से बढ़ता है. भारतीयों के लिए गर्व की बात है कि यह मूल उत्तर भारत से ही दुनिया भर में फैला है, भोजन और उपचार के लिए अतिरिक्त सहजन का प्रयोग पानी साफ करने और हाथ धुलने के लिए भी किया जा सकता है.
यह डायबिटीज से लेकर कैंसर जैसे भयंकर बीमारियों तक के लिए चमत्कारी होता है। यह भी बताया जाता है कि मुनगा मल्टीविटामिन से भरपूर होता है। इसकी पत्तियों में प्रोटीन के साथ-साथ विटामिन बी-6, विटामिन सी, विटामिन ए, विटामिन ई पाया जाता है। सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि इसमें आयरन, मैगनिशियम, पोटेशियम और जिंक जैसे मिनरल भी पाए जाते हैं।
स्कूलों, आंगनबाड़ी केन्द्रों और छात्रावासों में रोपे जाएंगे मुनगा के पौधे
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देशानुसार वन विभाग द्वारा 6 जुलाई को राज्य भर में ‘मुनगा’ पौधरोपण का विशेष अभियान चलाया जाएगा। इसके तहत प्रदेश के समस्त शासकीय स्कूलों, आंगनबाड़ी केन्द्रों और छात्रावास-आश्रमों में मुनगा के पौधे का रोपण किया जाएगा। वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने बताया कि यह अभियान मुख्यमंत्री श्री बघेल के कुपोषण मुक्त छत्तीसगढ़ की परिकल्पना को साकार करने में अहम् भूमिका निभाएगा। राज्य शासन द्वारा संचालित इस महत्वपूर्ण अभियान को शासन-प्रशासन के साथ-साथ जनप्रतिनिधियों तथा आम नागरिकों के सहयोग से सफल बनाना है। इस महत्वपूर्ण कार्य को अभियान का रूप देने के लिए राज्य भर में एक ही तिथि 6 जुलाई निर्धारित की गई है। उन्होंने कहा कि मुनगा हमारी सेहत के लिए बहुत फायदेमंद है। राज्य के स्कूलों, आंगनबाड़ी केन्द्रों और छात्रावास-आश्रमों में इसके रोपण से मुनगा की सहजता से उपलब्धता होगी वहीं इन संस्थाओं के परिसरों में हरियाली सहित पर्यावरण के संरक्षण तथा संवर्धन को भी बढ़ावा मिलेगा।
दूध पिलाने वाली माताओं के लिए सहजन अतयंत लाभकारी है :-
सहजन की पत्ती में घी को गर्म करके प्रसूता स्त्री को दिए जाने का पुराना रिवाज है, इससे दूध की कमीं नहीं होती और जन्म के बाद भी कमजोरी व थकान आदि का भी निवारण होता है. बच्चों का स्वास्थ्य सही रहता है और वजन बढ़ता है. सहजन में पाये जाने वाला पर्याप्त कैल्शियम किसी भी अन्य कैल्शियम सप्लीमेंट से कई गुना अच्छा है.
यह ब्लड शुगर लेबल और कोलेस्ट्राल लेवल संतुलित करता है :-
यह हाई ब्लड शुगर लेवल को कम करता है, कोलेस्ट्राल कम करने की वजह से यह हदय के लिए अच्छा है.
हदय रोग, मेरा घोलिक डिस आर्डर जैसे डायबिटिज :-
इन्सुलिन रेजिस्टेंस आदि की वजह से होने वाली जलन और सूजन से सहजन राहत दिलाता है, सहजन की पत्ती की अतिरिक्त इसकी फली फूल बीज में भी यह गुण पाये जाते हैं. सहजन की सब्जी खाने से भी यह लाभ उठाये जा सकते है.
सहजन कैन्सर प्रतिरोधी है –
इसमें Kaempferol, Querecetin, Rdanmnetion जैसे एंटी ऑक्सिडेंट त्तव पाए जाते हैं यह स्कीन लीवर फेफड़े और गर्भाश्य के कैंसर होने से सुरक्षा करता है.
किडनी स्टोन की समस्या में सहजन कारगर है – यह किडनी में जमें आवश्यक कैल्शियम को शरीर से बाहर निकालता है, इससे स्टोन नहीं बनना और यह किडनी स्टोन से होने वाले दर्द और जलन को भी कम करता है.
सहजन के फूलो की चाय :- मोनिंगा फ्लावर न्यूट्रीशनल गुणों से भरपूर है, यह चाय यूरिन इन्फैक्शन, सर्दी जुकाम ठीक रहती है, सहजन के फूलों को सलाद के रूप में भी सेवन किया जाता है.
यह अनिद्रा हाइपरटेंशन, एनिमिया आंत का अल्सर भी ठीक करता है और घाव जल्दी भरता है, दिमागी स्वास्थ्य के लिए सहजन लाजवाब है.
सहजन के बीजों से पानी साफ करना – सहजन पानी साफ करने में भी कारगार है, जिसका सर्दियों में प्रयोग होता है, इसके बीजों को कूटकर पानी में मिलाने से हानिकारक शैवाल और प्रदुषक तत्व अलग हो जाते हैं.
सहजन जानवरों के लिए चारा के रूप में – यह जानवरों के लिए चारे के रूप में प्रयोग किया जाता है. दूध देने वाले जानवर अधिक दूध देते है और मांस के लिए पाये जाने वाले मवेशी खूब स्वस्थ रहते है.
सहजन का तेल (BEN OIL) : यह ज्यादा दिनों तक रखने से उड़ जाती है इसलिए इसका प्रयोग समय के अनुसार किया जाता है. यह बेन आयल कभी खराब नहीं होती, यह अमुमन मिठी होती है और इसमें कोई खुशबू नहीं होती. अतः यह परफ्यूम बनाने में उपयोग किया जाता है.
कई स्कीन रोगों में सहजन का उपयोग :- सहजन का उपयोग करके स्किन रोगों में लाभ प्राप्त किया जा सकता है. सहजन का तेल सोरायसिस, एक्जिमा रोग में लगाने से ल्राभ होता है. बीजो का यह तेल एम्ने और ब्लैकहेड्स की समस्या में चेहरे पर लगायें.