कोयले की कमी से गहरा रहे संकट के बीच पावर एक्सचेंज में बेची जाने वाली बिजली की कीमतों के भी उच्च स्तर पर बने रहने की संभावना है। रेटिंग एजेंसी क्रिसिल की रिपोर्ट कहती है कि इस तिमाही देश्ा के तमाम पावर एक्सचेंजों में बिजली की औसत दर छह रुपये प्रति यूनिट से ज्यादा रह सकती है। यह किसी एक तिमाही में दर्ज की गई पिछले पांच वित्त वर्षों की सबसे उच्चतम दर होगी। बिजली की कीमत में वृद्धि की एक बड़ी वजह यह बताई गई है कि रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से अंतरराष्ट्रीय बाजार में कोयला महंगा हो गया है और आयातित कोयले से बिजली बनाने की लागत बढ़ गई है। साथ ही देश्ा में बिजली की मांग में इन तीन महीनों में आठ से नौ प्रतिश्ात की वृद्धि होने की संभावना है। मांग ज्यादा होने का असर भी पावर एक्सचेंज पर पड़ेगा।
रेटिंग एजेंसी ने यह भी कहा है कि जो नई स्थिति बन रही है उसकी वजह से पावर सेक्टर की निजी कंपनियों को खासा फायदा होगा। देश्ा में अभी तक निजी क्षेत्र में 73 हजार मेगावाट बिजली उत्पादन क्षमता स्थापित है, जिसमें से 36 हजार मेगावाट क्षमता के प्लांट ने किसी भी बिजली वितरण्ा कंपनियों (डिस्काम) के साथ कोई बिजली खरीद समझौता (पीपीए) नहीं किया है। पावर एक्सचेंज में बिजली की कीमत बढ़ी होने से इन कंपनियों का राजस्व बढ़ेगा। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि महंगी बिजली का असर पावर एक्सचेंज में दिखाई देने लगा है। पिछले 11 महीनों से पावर एक्सचेंज में बिजली की कीमत चार रुपये प्रति यूनिट थी लेकिन मार्च, 2022 में यह औसतन 8.2 रुपये प्रति यूनिट रही है।