काठमांडू: नेपाल में राजनीतिक संकट खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा है। प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा की सरकार के जल्द ही एक साल पूरे होने जा रहे हैं। इस बीच देउबा सरकार कुशासन को लेकर घिर गई है। शेर बहादुर देउबा के खिलाफ विपक्षी नेता और पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने मोर्चा खोल दिया है, वहीं नेपाली पीएम अब अपनी ही पार्टी नेपाली कांग्रेस के सवालों में घिर गए हैं। ओली ने तो यहां तक कह दिया कि वर्तमान गठबंधन सरकार मर चुकी है और उसका जारी रहना देश के लिए एक आपदा की तरह से होगा। काठमांडू पोस्ट अखबार के मुताबिक ओली ने कहा, ‘इस सरकार ने अपनी प्रासंगिकता को खो दिया है।Ó उन्होंने चेतावनी दी कि अगर सरकार की गतिविधियां ऐसे ही चलती रहीं तो नेपाल श्रीलंका की राह पर जा सकता है। बजट निर्माण में बिजनसमैन के प्रतिनिधियों को शामिल किया गया है। हम हथियारों की खरीद के बारे में सुन रहे हैं। निश्चित रूप से इन गतिविधियों को सरकार के कुछ लोगों का समर्थन हासिल है। हमें समय पर सजग होने की जरूरत है।
पार्टी में विरोधी धड़े ने भी प्रधानमंत्री के कार्यकुशलता पर सवाल उठाया
शेर बहादुर देउबा की सरकार पिछले साल 13 जुलाई को बनी थी और वित्त मंत्री जनार्दन शर्मा के खिलाफ आरोप होने के बाद भी कार्रवाई करने में फेल रहने के आरोपों का सामना कर रही है। बजट लीक करने के आरोप में वित्त मंत्री को हटा दिया गया था। देउबा ने वित्त मंत्री के इस्तीफे के बाद नए वित्त मंत्री की नियुक्ति नहीं की है और यह मंत्रालय अपने पास रखा है। अब देउबा सरकार संवैधानिक बदलाव करना चाहती है ताकि फैसलों को लेना आसान बनाया जा सके। इसी बदलाव को जब ओली ने करना चाहा था तब देउबा की पार्टी ने उसका विरोध किया था और कहा था कि यह संविधान का उल्लंघन है।