विश्लेषकों का मानना है कि नीतिगत ब्याज दरों पर रिजर्व बैंक (आरबीआई) का फैसला और मासिक डेरिवेटिव की एक्सपायरी के बीच घरेलू शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव बना रह सकता है। इसके अलावा अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व और अन्य केंद्रीय बैंकों द्वारा दरों में बढ़ोतरी के बाद वैश्विक बाजारों में आई मंदी की लहर आगे भी जारी रह सकती है। माना जा रहा है कि आरबीआई मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए लगातार चौथी बार ब्याज दर बढ़ाने का फैसला ले सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि आरबीआई मई के बाद से लेकर अब तक रेपो रेट में 140 आधार अंकों की बढ़ोतरी कर चुका है और इसमें 50 आधार अंकों की और वृद्धि करके इसे 5.9 प्रतिशत के तीन साल के उच्च स्तर पर ले जा सकता है।
पिछले सप्ताह सेंसेक्स में 741.87 अंक यानी 1.26 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई थी जबकि निफ्टी में 203.50 अंक यानी 1.16 प्रतिशत की गिरावट आई थी।
जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के रिसर्च हेड विनोद नायर ने कहा कि आने वाले आरबीआई की मौद्रिक नीति के नतीजे (30 सितंबर) पर निवेशकों की निगाह रहेगी। नायर ने कहा, उम्मीद है कि ग्लोबल संकेतों और विदेशी संस्थागत निवेशकों के रुख पर बाजार की दिशा निर्भर स्वास्तिक इन्वेस्टमार्ट लिमिटेड के रिसर्च हेड संतोष मीणा ने कहा, इस सप्ताह भी वैश्विक संकेतों के हावी होने की उम्मीद है। हालांकि आरबीआई की नीति और सितंबर के एफएंडओ की एक्सपायरी से भी बाजार में उतार-चढ़ाव आ सकता है। रुपये के रुझान पर भी बाजार अपनी प्रतिक्रिया देगा। गत शुक्रवार को पहली बार डालर के मुकाबले रुपया 81 के पार बंद हुआ था। रेलिगेयर ब्रोकिग के वाइस प्रेसिडेंट रिसर्च अजीत मिश्रा ने कहा, बाजार में उतार-चढ़ाव ज्यादा रह सकता है, क्योंकि एमपीसी की मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक के साथ मासिक डेरिवेटिव की एक्सपायरी जैसी महत्वपूर्ण घटनाएं इस सप्ताह होनी है।
एफपीआई ने भारतीय शेयरों में सिर्फ 8,600 करोड़ रुपये डाले
सितंबर में अब तक विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने भारतीय शेयरों में सिर्फ 8,600 करोड़ रुपये ही डाले हैं। इससे पिछले महीने एफपीआइ ने शेयर बाजारों में 51,000 करोड़ रुपये डाले थे। लगातार नौ महीने तक निकासी के बाद एफपीआइ जुलाई में शुद्ध लिवाल बने थे। पिछले साल अक्टूबर से एफपीआई की निकासी का सिलसिला शुरू हुआ था। अक्टूबर, 2021 से जून, 2022 तक उन्होंने शुद्ध रूप से 2.46 लाख करोड़ रुपये के शेयर बेचे थे। इस महीने सात कारोबारी दिन एफपीआइ ने बिकवाली की। पिछले दो कारोबारी सत्रों में एफपीआई ने शेयर बाजारों से 2,500 करोड़ रुपये की निकासी की है। जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वीके विजय कुमार ने कहा कि डालर मजबूत होने तथा अमेरिका में बांड पर यील्ड बढ़ने से हाल के दिनों में एफपीआई की बिकवाली बढ़ी है।
10 में से सात कंपनियों का मार्केट कैप 1.34 लाख करोड़ घटा
शेयर बाजार में सूचीबद्ध् 10 सबसे मूल्यवान कंपनियों में से सात का मार्केट कैप पिछले सप्ताह 1.34 लाख करोड़ घट गया। हिदुस्तान यूनीलीवर, बजाज फाइनेंस और आईटीसी को छोड़कर सभी सात मूल्यवान कंपनियों की बाजार हैसियत कम हुई है। सबसे मूल्यवान कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज का मार्केट कैप 40,558.31 करोड़ घटकर 16,50,307.10 करोड़ रह गया है। एचडीएफसी बैंक का मार्केट कैप 25,544.89 करोड़ कम होकर 8,05,694.57 करोड़ हो गया है। अदाणी ट्रांसमिशन की बाजार हैसियत 24,630.08 करोड़ कम होकर 4,31,662.20 करोड़ हो गई है।