
लंबे समय तक प्रदूषित वायु में रहने पर दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। यह खतरा उन लोगों के लिए और भी ज्यादा हो जाता है, जो पहले से हृदय संबंधी जटिलताओं का सामना कर रहे हों। जर्नल आफ द अमेरिकन कालेज आफ कार्डियोलाजी (जेएसीसी) में प्रकाशित अध्ययन निष्कर्ष में पार्टिकुलैट मैटर (पीएम) 2.5 व 10 के बीच लंबे समय तक रहने व नानआब्सट्रक्टिव कोरोनरी आर्टरी डिजीज (एनओसीएडी) से पीड़ित लोगों में कोरोनरी वैसोमोटर डिसआर्डर के संबंधों का मूल्यांकन किया गया है।
एनओसीएडी दिल के खराब प्रदर्शन से जुड़ा है। कोरोनरी वैसोमोटर डिसआर्डर तब होता है, जब वैसोमोटर में गड़बड़ी के कारण आक्सीजन के अनुरूप रक्त प्रवाह नहीं हो पाता है। इटली स्थित कैथोलिक यूनिवर्सिटी आफ द सेक्रेड हार्ट से जुड़े शोधकर्ताओं व छात्रों ने अध्ययन के दौरान मायोकार्डियल इस्कीमिया व एनओसीएडी के मरीजों की कोरोनरी एंजियोग्राफी व इंट्राकोरोनरी प्रोवोकेशन टेस्ट को अंजाम दिया।
ये धमनियों में ऐंठन के आकलन की स्थापित विधियां हैं। अध्ययन में 287 मरीजों को शामिल किया गया, जिनकी औसत आयु 62 वर्ष थी। इनमें 149 पुरुष व 161 महिला मरीजों को मायोकार्डियल इस्कीमिया व एनओसीएडी थी, जबकि 126 को मायोकार्डियल इन्फेक्शंस विथ नानआब्सट्रक्टिव कोरोनरी आर्टरीज (एमआइएनओसीए) नामक बीमारी थी। शोधकर्ताओं ने पाया कि पीएम 2.5 व पीएम 10 मायोकार्डियल इस्कीमिया व एनओसीएडी के मरीजों में कोरोनरी वैसोमोटर में गड़बड़ी के लिए जिम्मेदार है।