सनातन प्रथा परंपरा का अनुसरण करते हुए छत्तीसगढ़ में अक्षय तृतीया पर गुड्डा-गुड़िया की शादी करने की परंपरा है। छत्तीसगढ़ के गांव-गांव में अक्षय तृतीया को ‘अक्ती’ के नाम से जाना जाता है। अक्ती पर्व मनाए जाने की तैयारियां महीनों पहले से शुरू हो जाती है।
प्रदेशभर में अक्ति त्योहार यानी अक्षय तृतीया को लेकर लोगों में उत्साह देखा जा रहा है और सामग्री की खरीदी करने लोग दुकानों में पहुंच रहे हैं। खासकर, मिट्टी के बने गुड्डे-गुड़ियों की बिक्री के लिए दुकानें सजी हुई हैं और लोग खरीदी करने पहुंच रहे हैं।
छत्तीसगढ़ में अक्ति त्योहार यानी अक्षय तृतीया की अनोखी मान्यता है और अक्ति के दिन गुड्डा-गुड़ियों का विवाह कराया जाता है। हिन्दू धर्मशास्त्रों के अनुसार, अक्षय तृतीया की तिथि बहुत ही शुभ और मंगलकारी मानी गई है। साथ ही, अक्ति के दिन दान करना शुभ माना जाता है। इस दिन किसी भी मुहुर्त्व की जरूरत नहीं होती है, बल्कि पूरा दिन शुभ माना जाता है।