2014 में क्रीमिया पर कब्जे के विरोध में रूस को दुनिया के सर्वाधिक संपन्न् देशों के समूह जी-8 से हटा दिया गया था। इसके बाद यह समूह जी-7 के रूप से अपने मूल स्वरूप में आ गया था। इस समूह में अमेरिका, जर्मनी, फ्रांस, ब्रिटेन, इटली, जापान और कनाडा हैैं। लेकिन आठ साल बाद जब रूस ने सीधे यूक्रेन पर हमला कर दिया है तो अमेरिका और उसके सहयोगी चाहकर भी रूस को जी-20 देशों के समूह से नहीं निकाल पा रहे हैैं। ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि रूस को हटाने के मुद्दे पर अमेरिका और पश्चिमी देश समूह में आम सहमति बनाने में सफल नहीं हो रहे। चीन, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका ने रूस को हटाने के खिलाफ अपनी स्पष्ट राय व्यक्त कर दी है। भारत के भी पश्चिमी देशों के प्रस्ताव से सहमत होने की कम ही उम्मीद है।
गैस और तेल कंपनी शेल के रूस से बाहर निकल जाने के बाद चीन की सबसे बड़ी सरकारी तेल-गैस कंपनी सीएनपीसी और साइनोपेक ग्रुप शेल से साखालिन-2 लिक्विफाइड गैस वेंचर का 27.5 प्रतिशत हिस्सा लेने के लिए बात कर रही है। अमेरिकी कंपनी शेल ने रूस पर लगे प्रतिबंधों के चलते वहां अपना काम खत्म कर लिया है।