अमेरिकी रक्षा विभाग पेंटागन की रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन ने अपने परमाणु हथियारों का बहुत तेजी से विस्तार किया है। इस रिपोर्ट से अमेरिका की चिंता बढ़ गई है और विश्व में इस पर चर्चाएं शुरू हो गई हैं। अमेरिका ने पिछले साल सैटेलाइट फोटो की मदद से यह नई जानकारी सार्वजनिक की है। रिपोर्ट में यह भी संकेत दिया गया है कि चीन बड़े ही नाटकीय ढंग से अपने परमाणु हथियारों को बढ़ाता जा रहा है।
द नेशनल इंटरेस्ट की रिपोर्ट के अनुसार चीन का रुख परमाणु हथियारों को लेकर भी विस्तारवादी ही है। पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी (पीएलए) ने अक्टूबर में अंतरिक्ष आधारित परमाणु हथियार का परीक्षण किया था। साथ ही इस बात का संकेत दिया था कि अमेरिका की सीमित क्षमता वाली मिसाइल रक्षा प्रणाााली के मुकाबले के लिए अन्य हथियारों पर भी काम कर रहा है।
इतिहास गवाह है कि चीन ने रूस और अमेरिका के मुकाबले चीन ने हमेशा छोटे परमाणु हथियार ही बनाए हैं। चीन इसे न्यूनतम प्रतिरोधक क्षमता की मिसाइल रक्षा प्रणाली कहता है। यानी की चीन के पास जवाबी हमले के लिए पर्याप्त परमाणु हथियार हैं। चीन की परमाणु हथियार का पहले नहीं इस्तेमाल करने की नीति है। यानी कि वह पहले इसका इस्तेमाल नहीं करेगा और केवल जवाबी कार्रवाई में ही करेगा। इसलिए मौजूदा समय में चीन का परमाणु हथियारों का जखीरा बढ़ाने से उसकी नीति को लेकर दुनिया का संशय बढ़ गया है।
वर्ष 2021 में आखिर में प्रकाशित दो रिपोर्टों में कहा गया है कि सैन्य और सुरक्षा से जुड़े चीन के परमाणु हथियारों के संदर्भ बदल गए हैं। अब सवाल उठता है कि चीन के पास कितने परमाणु हथियार हैं और वह और कितने हथियार जुटाना चाहता है।
अमेरिकी रक्षा विभाग के अनुसार चीन के पास वर्ष 2020 तक कम तीव्रता वाले 200 से अधिक परमाणु हथियार हैं। परमाणु वैज्ञानिकों का मानना है कि यह हथियार अब बढ़ कर 350 से अधिक हो गए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन की इस प्रगति को देखते हुए वर्ष 2027 तक उसके पास 700 से अधिक परमाणु हथियार होने का अनुमान है। जबकि 2030 तक कम से कम एक हजार परमाणु हथियार हो जाएंगे।
एक अमेरिकी थिंक टैंक की रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका के पास 1550 परमाणु हथियार सक्रिय तैनाती में हैं जबकि इससे भी अधिक रिजर्व में रखे हैं। लेकिन चीन के पास अभी भी उससे काफी कम परमाणु हथियार हैैं। हालांकि वह अपनी परमाणु क्षमता बढ़ाने में लगातार जुटा हुआ है।