-शिक्षक तुकाराम का रायपुर एम्स में चल रहा था ईलाज
रायपुर। गरियाबंद के किडनी रोग से प्रभावित सुपेबेड़ा गांव के एक और मरीज ने दम तोड़ दिया है। 54 साल के शिक्षक तुकाराम क्षेत्रपाल ने बीती रात बीती रात अंतिम सांस ली। उनको पेरीटोनियल डायलिसिस के लिए रायपुर एम्स में भर्ती कराया गया था। तुकाराम की इस मौत को मिलाकर सुपेबेड़ा में किडनी की गंभीर बीमारी से मरने वालों की संख्या अब 79 हो गई है। ग्रामीणों ने बताया, सुपेबेड़ा के पास ही तिरलीगुड़ा के स्कूल में पदस्थ तुकाराम क्षेत्रपाल को किडनी की बीमारी का पता 2017 में चला। तबसे इलाज जारी था। इसके बावजूद उनकी तबीयत बिगड़ती ही गई। पिछले महीने उनकी स्थिति गंभीर हो गई। उन्हें एम्स ले जाया गया, वहां से पता चला कि उनके खून में यूरिया की मात्रा दो गुना और क्रिटिनीन की मात्रा 9 गुना बढ़ गई है। करीब 15 दिन पहले उन्हें एम्स में भर्ती कराया गया था। वहां उनका पेरीटोनियल डायलिसिस किया जा रहा था। बीती रात 9 बजे के करीब एम्स में ही उन्होंने दम तोड़ दिया। तुकाराम के परिवार में पत्नी और बेटा हैं। हाल ही में उन्होंने बेटे की शादी की थी। करीब दो महीने पहले सुपेबेड़ा के ही 47 वर्षीय पुरंदर आडिल की मौत हुई थी। उन्हें भी रायपुर के अस्पताल में भर्ती कराया गया था। अस्पताल ने उन्हें रेफर कर दिया तो परिजन उन्हें घर लाए जहां उन्होंने अंतिम सांस ली। गांव के त्रिलोचन सोनवानी का कहना है, पिछले कुछ सालों से शायद ही कोई महीना बचता हो जिसमें उनके गांव के किसी न किसी व्यक्ति की किडनी के रोग से मौत न हुई हो। ग्रामीणों का कहना है, ऐसी स्थिति में वे लोग काफी डरे हुए हैं।
-गांव में अभी 32 लोग गंभीर रूप से बीमार
त्रिलोचन के मुताबिक गांव में किडनी रोग के लक्षणों वाले सैकड़ो लोग हैं। 32 ऐसे मरीज हैं, जिनमें बीमारी कंफर्म हो चुकी है। उनका इलाज विभिन्न अस्पतालों से चल रहा है। कई परिवारों की आर्थिक स्थिति भी बीमारी की वजह से बेहद खराब होती जा रही है। ऐसे में गांव में लोग निराश हो गए हैं।
सुरक्षित पानी की मांग बार-बार उठा रहे हैं ग्रामीण
सुपेबेड़ा के ग्रामीणों का कहना है, तमाम डॉक्टर और वैज्ञानिक यही कह रहे हैं कि यहां के पानी में खराबी है। इसी की वजह से गांव के लोग किडनी की बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं। सरकार से बार-बार मांग की जा रही है कि तेल नदी का पानी साफ कर उन्हें पेयजल के लिए मुहैया कराया जाए लेकिन उसपर कुछ हो नहीं रहा है। गांव के त्रिलोचन सोनवानी ने कहा, हर स्तर पर इसकी मांग उठाई जा चुकी है, लेकिन सरकार इसमें देरी कर रही है। इस देरी की वजह से गांव के लोगों का जीवन में संकट में है।