Ekhabri धर्मदर्शन, पूनम ऋतु सेन। 21 अक्टूबर से कार्तिक मास प्रारंभ हो चुका है। शास्त्रों में कार्तिक मास का अत्यंत महत्व है। कहा जाता है ये माह विष्णु भगवान को बहुत प्रिय है। इसी मास में विष्णु जी शालिग्राम के रूप में तुलसी माता से विवाह करते है, तो वही इस मास में दीपदान करने की भी परंपरा है। इन्हीं तमाम कारणों के चलते ये मास अधिक महत्व रखता है।
बता दें पंचांग के अनुसार इस बार कार्तिक मास 21 अक्टूबर से शुरू होकर 19 नवंबर को समाप्त होने वाला है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस मास यानि कार्तिक मास में पड़ने वाला पुष्य नक्षत्र के दौरान कई शुभ संयोग बन रहे हैं। माना जा रहा है यह संयोग लगभग 66 साल बाद बन रहा है।
कहा जाता है पुष्य नक्षत्र सभी नक्षत्रों का राजा होता है। तमाम तरह के शुभ कार्यों को करने के लिए इस नक्षत्र को सबसे सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। ज्योतिष विद्वानों का मानना है कि इस बार लगभग 60 साल बाद इस नक्षत्र में खास संयोग बन रहा है। बताया जाता है ज्योतिष शास्त्र में कुल 27 नक्षत्र हैं, जिनमें से आठवां पुष्य नक्षत्र है, जिसे तिष्य और अमरेज्य के नाम से भी जाना जाता है। तिष्य का अर्थ मंगल प्रदान करने वाला नक्षत्र तथा अमरेज्य का अर्थ देवताओं द्वारा पूजा जाने वाला नक्षत्र, कहने का भाव है जिस नक्षत्र की पूजा देवी-देवता भी करते हैं। इस नक्षत्र को इतना शुभ माना जाता है कि मान्यता है कि शादी विवाह आदि को छोड़कर किसी भी शुभ कार्य को करने के लिए इस नक्षत्र के दौरान पंचांग देखने को आवश्यकता नहीं होती।
आइए जानते हैं कि प्रथम पुष्य नक्षत्र कब तथा इसका क्या महत्व है-
कार्तिक मास में पुष्य नक्षत्र का महत्व
धार्मिक दृष्टि से देखा जाए तो हिंदू धर्म में कार्तिक मास को बहुत खास माना जाता है। इस मास में विशेष रूप से देवी लक्ष्मी जी और भगवान विष्णु की पूजा करना फलदायी होता है।
कब लग रहा है पुष्य नक्षत्र-
हिंदी पंचांग के अनुसार 28 अक्टूबर 2021, गुरुवार को कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि है। इस दिन पुष्य नक्षत्र रहेगा। इसके अलावा दिन चंद्रमा कर्क राशि में विराजमान रहेगा।
28 अक्टूबर को पुष्य नक्षत्र प्रात: 09 बजकर 41 मिनट से प्रारम्भ होगा और 29 अक्टूबर को प्रात: 11 बजकर 39 मिनट तक रहेगा।
कौन है पुष्य नक्षत्र के स्वामी-
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि देव और देवता देव गुरु बृहस्पति पुष्य नक्षत्र के स्वामी हैं। सबसे खास बात ये है कि वर्तमान समय में ये दोनों ही ग्रह मकर राशि में विराजमान हैं। अर्थात मकर राशि में शनि और गुरु की युति बनी हुई है। तो वहीं पुष्य नक्षत्र गुरुवार के दिन पड़ रहा है, अतः इसे गुरु पुष्य नक्षत्र के नाम से जाना जाता है। चूंकि माना जा रहा है कि 66 साल बाद ये खास संयोग बना है, इसलिए खरीदारी करने के लिए ये विशेष योग बेहद शुभ है।