ब्रिटेन के सार्वजनिक प्रसारण निगम बीबीसी और तकनीक क्षेत्र की दिग्गज चीनी कंपनी हुआवे के बीच धन लेकर हितों के अनुरूप प्रचार का अपवित्र समझौता हुआ है। बीबीसी ने यह समझौता बढ़ते खर्च और सरकार की ओर से सहायता में कमी से उत्पन्न् स्थिति को नियंत्रित करने के लिए किया है। सरकार की ओर से मिलने वाली लाइसेंस फीस को लेकर संशय से भी बीबीसी मुश्किल में है। इसी का परिणाम है कि भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बारे आपत्तिजनक डाक्यूमेंट्री बनाकर उनकी छवि बिगाड़ने की कोशिश की गई है। यह जानकारी ब्रिटेन की साप्ताहिक पत्रिका द स्पेक्टेटर ने अपने ताजा अंक में दी है।
हुआवे चीन की वही दिग्गज कंपनी है जिसके कामकाज को 2019 में अमेरिका ने प्रतिबंधित किया था। इसके बाद 2020 में ब्रिटेन की सरकार ने उसे देश में 5 जी नेटवर्क विकसित करने के कार्य से अलग कर दिया। अमेरिका, ब्रिटेन और कुछ अन्य यूरोपीय देशों ने सुरक्षा से जुड़ी आशंकाओं के चलते हुआवे से दूरी बनाई है। इन देशों को शक है कि हुआवे का संबंध चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी से है। बीबीसी और हुआवे का समझौता हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी पर दो हिस्सों में प्रसारित हुई आपत्तिजनक डाक्यूमेंट्री के बाद चर्चा में आया है। इसे भारत को कमजोर करने के षडयंत्र के तौर पर देखा जा रहा है। इससे बीबीसी से हुआवे के जुड़ने का उद्देश्य पता चला है।
भारत सरकार ने बीबीसी की डाक्यूमेंट्री के तथ्यों और उसके उद्देश्य की निंदा की है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिदम बागची ने इसे कुत्सित मानसिकता से दुष्प्रचार बताया है। राज्यसभा के सदस्य महेश जेठमलानी ने कहा कि चीन के रणनीतिक हित साधने के लिए हुआवे ने बीबीसी को धन दिया है। हुआवे के इाारे पर मोदी की छवि खराब करने के लिए डाक्यूमेंट्री बनाई गई।