हुक्के और स्मोकिंग की आदत पड़ रही भरी, 80 प्रतिशत लोगों में हो रही गंभीर बीमारी
रायपुर। आजकल युवाओं में स्मोकिंग करना आम बात हो गई है लेकिन इस शौक का कितना भयावह परिणाम हो सकता है। यह वह जानना नहीं चाहते। स्मोकिंग की आदत इतनी हानिकारक है कि यह आपकी जान भी ले सकती है। लंगस कैंसर और दमा की बीमारियों के मरीज की अगर बात करें तो उसमें 80% लोग ऐसे होते हैं जिन्हें धूम्रपान की आदत होती है। अपने जीवन को धुएं में उड़ने का शौक फरमाते वालों में अब सिर्फ लड़के ही शुमार नहीं हैं बल्कि लड़किया भी दो कदम आगे बढ़ती नजर आ रही हैं। इस नशे के एक कश के लिए लोग एक झटके में हजारों रुपए खर्च कर रहे हैं। आज नो स्मोकिंग डे पर पढ़िए खास खबर।
स्मोकिंग एक ऐसी आदत है जिसका छूट पाना बड़ा ही मुश्किल है। आमतौर पर लोगों में यह कम उम्र में ही लगती है जो बढ़ते बढ़ते इतनी बढ़ जाती है कि उसे छोड़ पाना उस व्यक्ति के लिए संभव नहीं होता। अगर आंकड़ों की बात करें तो लंग्स के कैंसर और दमा की बीमारी से ग्रसित लोगों में यह बीमारी होने का कारण स्मोकिंग ही है। आमतौर पर इस तरह की भयावह बीमारी 40 से 50 साल के बाद उभर कर आती है और तब तक उस व्यक्ति का शरीर पूरी तरह से खोखला हो जाता है।
टीनएजर्स को जकड़ती स्मोकिंग की आदत
टीन एज में आमतौर पर स्मोकिंग की आदत देखी जाती है। डॉक्न सिंह राठौर की माने तो आने वाले मरीजों में जो स्मोकिंग के ड्रगिस्ट हो चुके हैं उनमें अधिकांश मामले ऐसे रहते हैं, जिन्होंने तेरा 14 साल की उम्र से स्मोकिंग करना शुरू किया था लेकिन अब इतना अधिक बढ़ गया है कि वह चैनस्मोकर बन चुके हैं। पेरेंट्स के लिए आवश्यक है की टीनएजर्स में खास ध्यान रखें क्लास 9 से 10 में दोस्तों को देखकर स्मोकिंग करना एक ट्रेड माना जाता है। जो कि बढ़ते बढ़ते इतना बढ़ जाती है कि उसे रोक पाना मुश्किल हो जाता है। इस उम्र में ही बच्चों को यह सिखाना चाहिए कि क्या सही है और क्या गलत धूम्रपान करने से उनकी सेहत में बेहद बुरा असर पड़ता है इस चीज को भी समझाना चाहिए।
एक कश में फूक करे हजारों
हुक्का और सिगार में लोग हजारों खर्च कर रहे हैं। हुक्का आज के यूथ में स्टेट्स सिंबल बन चुका है। हुक्का का शौक फरमाने वाले रवि (परिवर्तित नाम) बताते हैं की उन्होंने पहली बार हुक्का गोवा में पिया था जिसकी कीमत 8 हजार थी। वह बताते हैं कि राजधानी में भी उन्होंने 7 हजार तक का हुक्का ट्राई किया है। आप जानकर हैरान हो जायेगे कि हुक्का की कीमत 500 रुपए से शुरू होती है जो हजारों तक पहुंचती है। जैसा फ्लेवर वैसा रेट। वही इसकी मशीन भी अलग अलग दामों की है। बीस हजार तक की हुक्के की मशीन मिलना तो आम बात है। इतना ही नहीं सिगार की बात करें तो मांगी सिगार की कीमत 16 हजार के उस पर तक पहुंचती है। शौकीन ऐसे भी हैं जो बाहर से विदेशी सिगार भी मांगते हैं वो भी डबल दाम देकर।
स्कूल में करनी चाहिए पहल
नशा मुक्ति के लिए स्कूल में भी मुहिम चलाना चाहिए आमतौर पर टीन एज में ही किसी भी तरह की नशे की और धूम्रपान की आदत होती है। इसलिए यह आवश्यक है कि स्कूलों में इसके लिए अलग से सेशन रखा जाए। विशेषज्ञों को बुलाकर छात्रों को यह बताया जाए कि स्मोकिंग करने से हमारे शरीर में क्या प्रभाव पड़ता है। समाज सेविका रजनी बाजपाई बताती हैं कि वह नशा मुक्ति के लिए पिछले 14 साल से कार्य कर रही हैं। अधिकांश मामलों में बच्चे ही सामने आते हैं जिनकी आदत बढ़ते बढ़ते इतनी हो जाती है कि वह आगे उसे नहीं छोड़ा पाते। नशा मुक्ति के लिए उन्होंने कई तरह के मुहिम चलाएं हैं जिसमें यह बात सामने आई है कि कैंसर के अधिकांश मरीज स्मोकिंग और तमाखू के कारण इस बीमारी से ग्रसित है और बचपन से ही वह धूम्रपान कर रहे हैं।
लड़कियों में भी बढ़ रही आदत
पिछले 4 से 5 सालों में छत्तीसगढ़ में भी स्मोकिंग का शौक करने वाली कई लड़कियां भी सामने आए हैं। इतना ही नहीं स्मोकिंग की आदत उनमें इतनी हावी हो चुकी है कि वह अपने आप को नहीं रोक पाती हैं। और खुद दुकान जा कर सिगरेट खरीदी करती हैं। एक व्यवसाई को माने तो 150 से हजारों रुपए तक की एक सिगार आती है, जिसे शौकीन लड़कियां लेती हैं। उनकी दुकान में 6 रुपए से सिगरेट मिलना शुरू होती है और कई ऐसे रोज के ग्राहक हैं जो नियमित इसका शौक फरमाते हैं और रोज 5 से 7 सिगरेट पीते हैं।
कैसे छोड़ें स्मोकिंग की आदत
छाती रोग विशेषज्ञ डॉ. रौशन सिंग राठौर की माने तो स्मोकिंग छोड़ना बहुत मुश्किल का काम है लेकिन डॉक्टर से सलाह लेकर आप एक प्लान बनाकर इस पर काम कर सकते है। कई नॉन प्रिस्क्रिप्शन और प्रिस्क्रिप्शन दवाएं हैं। जो स्मोकिंग छोड़ने में मदद करती हैं। स्मोकिंग छोड़ने से धीरे-धीरे आपका पूरा बॉडी सिस्टम ठीक होने की तरफ बढ़ने लगता है। हमारे पास ऐसे कई मरीज आते हैं जो अपनी इस आदत से छुटकारा पाना चाहते हैं। हम उनका इलाज करते है। उन्हें मोटिवेट करते हैं कि वह स्मोकिंग करे बिना भी खुश रह सकते हैं।