शोधकर्ताओं की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने हाल ही एंटीबाडी के प्रति कोविड के डेल्टा वैरिएंट के मुकाबले ओमिक्रोन की संवेदनशीलता का अध्ययन किया। इसका प्रकाशन ‘नेचर जर्नल” में हुआ है। ओमिक्रोन वैरिएंट, डेल्टा के मुकाबले काफी संक्रामक है, लेकिन इसकी जैविक विशेषताएं अभी भी अपेक्षाकृत अज्ञात हैं। यूरोपीय संघ के हेल्थ इमरजेंसी प्रिपेयर्डनेस एंड रिस्पांस आथरिटी (एचईआरए) की मदद से हुए नए अध्यय में विज्ञानियों ने एंटीबाडी के प्रति डेल्टा के मुकाबले ओमिक्रोन की संवेदनशीलता को परखा। इसका उद्देश्य नए वैरिएंट को बेअसर करने में एंटीबाडी चिकित्सा के प्रभाव का निर्धारण तथा किसी व्यक्ति के कोरोना संक्रमित होने के बाद अथवा वैक्सीन लगवाने के बाद उसमें हुए एंटीबाडी के विकास का आकलन करना था। अध्ययन के सह लेखक और इंस्टीट्यूट पाश्चर में वायरस एंड इम्युनिटी विभाग के प्रमुख ओलिवियर श्वार्ट्ज ने कहा, ‘हमने पाया कि नए वैरिएंट ने एंटीबाडी से मुकाबले के लिए काफी प्रतिरोधक क्षमता हासिल कर ली है। फिलहाल उपलब्ध अधिकांश चिकित्सकीय मोनोक्लोनल एंटीबाडी इस वैरिएंट के खिलाफ निष्क्रिय हैं।” अध्ययन में पाया गया कि वैक्सीन की दोनों खुराक लेने के पांच महीने बाद लोगों में उपलब्ध एंटीबाडी, ओमिक्रोन से मुकाबले में कम सक्षम रह जाती है। लेकिन, फाइजर की बूस्टर डोज लगवाने के एक महीने बाद व्यक्ति की एंटीबाडी ओमिक्रोन वैरिएंट को निष्क्रिय करने में सक्षम रही।