रायपुर। राज्य सरकार ने फसल कटाई के पश्चात खेतों में उपलब्ध फसल अवशेष को राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) द्वारा दिए गए निर्देशोंं के आधार पर जलाने को प्रतिबंधित किया गया है, जिसके संबंध में कृषि विभाग द्वारा विकासखण्ड एवं ग्राम स्तर पर समय-समय पर प्रशिक्षण एवं कृषि चौपालों के माध्यम से किसानों को फसल अवशेषों को खेतों में जलाने से होने वाले नुकसान जैसे कार्बन डाईआॅक्साइड, नाईट्रस आॅक्साइड, मिथेन गैस एवं विभिन्न प्रकार की जहरीली गैसों से वायु प्रदूषण एवं लाभ दायक जीवाणुओं के नष्ट होने से मृदा प्रदूषण के दुष्प्रभाव बने रहते है। साथ ही फसल अवशेष को जलाने के विपरीत उनका उचित प्रबंधन करने के लिए कृषकों को सुझाव दिए जा रहे है। इसके अन्तर्गत फसल कटाई के बाद पानी भरने से फसल अवशेष को सड़ाकर कम्पोस्ट में परिवर्तित किया जा सकता है। फसल कटाई के बाद खेत में शेष फसल अवशेषों को जुताई कर खेतों में दबाकर भूमि की उर्वरा शक्ति बनायी रखी जा सकती है। फसल कटाई के पश्चात् वेस्ट डिकम्पोजर का प्रयोग कर फसल अवशेष प्रबंधन एवं मृदा उर्वरता में वृद्धि की जा सकती है। जिससे रासायनिक उर्वरक की मात्रा में कमी कर कृषक की फसल काश्त लागत में कमी लाई जा सकती है। कृषक अपने खेतों में ट्राइकोडरमा विरिडी का प्रयोग कर फसल अवशेषों को कम्पोस्ट में परिवर्तित कर मृदा की उर्वरा शक्ति वृद्धि कर सकते है। पैरा का प्रयोग मल्चिंग के रूप में कर खेतों की नमी को संरक्षित किया जा सकता है।
पैरादान के लिए किया जा रहा प्रेरित,होरही आमदनी
गोठान ग्रामों के गोठान में कार्यरत स्व-सहायता समूहों एवं ग्राम के कृषकों को पैरा दान हेतु प्रेरित कर पैरा का प्रयोग पशु चारा हेतु किया जा रहा है साथ ही स्व-सहायता समूहों को प्रशिक्षण के माध्यम से प्रोत्साहित कर पैरा का उपयोग आयस्टर मशरूम उत्पादन हेतु किया जा रहा है। जिससे कम लागत में समूह की महिलाओं को अतिरिक्त आय प्राप्त हो रही है। उप संचालक कृषि ने बताया कि फसल अवशेष को जलाने से वायु प्रदूषण होता है जिसके लिए वायु प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण अधिनियम के तहत् 02 एकड़ से कम खेत के लिए 2500 प्रति घटना, 02 से 05 एकड़ तक 5000 प्रति घटना तथा 05 एकड़ से अधिक होने पर 15000 घटना अर्थदण्ड व 06 माह सजा का प्रावधान है। फसल अवशेष को जलाने वाले कृषकों को राज्य पोषित राजीव गांधी न्याय योजना के तहत् मिलने वाले लाभ से वंचित किया जाना प्रावधानित है। जिसके लिए ग्रामीण स्तर पर कृषकों को फसल अवशेष न जलाने की सलाह दी जा रही है।