तीन का शव कार में मिला, एक का बह रहा था, 15 साल की किशोरी तैरकर निकली
रायगढ़/सारंगढ़/दानसरा
सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिले के टिमरलगा में गुरुवार रात लगभग 11.45 बजे एक कार के बंद पत्थर खदान के पानी भरे गड्ढे में गिरने से गांव की सरपंच मीनू पटेल, उनके पति महेंद्र पटेल, ससुर फूल सिंह और सास पार्वती पटेल की मौत हो गई। कार में साथ बैठी सरपंच की बेटी रोशनी कार से बाहर निकली अाैर तैरकर पानी से बाहर आई और उसने ही लोगों को हादसे की सूचना दी। लोगों के संसाधनों के साथ वहां पहुंचने तक डेढ़ घंटा बीत चुका था। रात होने के कारण बचाव कार्य नहीं किया जा सका। शुक्रवार सुबह चार शवों के साथ कार को बाहर निकाला गया। हादसे से जिले में शोक की लहर है। पीड़ित परिवार में अब सिर्फ 15 साल की बच्ची रोशनी ही बच गई है। उसकी सगी बुआ है, जिसकी शादी हो चुकी है। टिमरलगा, गुड़ेली, नौघट्टा, कटंगपाली इलाके में हर तरफ वैध अवैध पत्थर खदानों के 30-50 फीट के खाईनुमा गड्ढे हैं। कुछ गड्ढे सड़क से लगे हैं, लेकिन खनिज विभाग और प्रशासन को इसकी परवाह नहीं है। गड्ढे में गिरने से आए दिन मौतें होती हैं। ओडिशा बरगढ़ के भठली के श्री श्याम मंदिर जाने सरपंच के पति महेंद्र ने उपसरपंच की नई कीया कार मांगी। दोपहर को परिवार निकला। दर्शन कर रात लगभग 8 बजे ये लोग टिमरलगा के लिए निकले। रास्ते में ढाबे में रुककर खाना खाया। इससे महेंद्र का पेट खराब हुआ। हादसे के बाद सुरक्षित निकली 15 साल की रोशनी ने परिचितों को बताया कि महेंद्र रास्ते में दो-तीन बार रुके थे। रात लगभग 11.30 बजे गांव टिमरलगा के नजदीक हादसे वाले गड्ढे के करीब गाड़ी खड़ी की और उतरे। यहां पास में ही महेंद्र ईंट भट्ठा लगवाने की तैयारी कर रहे थे। लगभग 15 मिनट बाद महेंद्र वापस गाड़ी में बैठे। गाड़ी स्टार्ट की, दोस्तों का अनुमान है कि कीया में सामान्य कारों से अलग तरह के गियर लीवर है। एक नंबर गियर के बदले महेंद्र ने बैक गियर लगाया होगा और कार ढुलकर गड्ढे में जा गिरी होगी।
सरपंच मीनू, महेंद्र, फूलसिंह और पार्वती पटेल का अंतिम संस्कार गांव में ही शुक्रवार शाम को किया गया। इस हादसे के बाद गांव में लोग सकते में हैं। अंत्येष्टि में बड़ी संख्या में समाज, राजनीतिक दलों से जुड़े लोग उपस्थित हुए। मीनू और महेंद्र को उनकी बेटी रोशनी ने मुखाग्नि दी। वहीं फूलसिंह और पार्वती को उनके महेंद्र के भतीजों ने मुखाग्नि दी।
पोती ने कोशिश की पर दादा को बचा नहीं पाई
रोशनी पटेल से बात करने वाले महेंद्र के मित्रों ने बताया कि रोशनी तैरना जानती थी। उसे कार में उल्टी की शिकायत रहती है। उसने पापा से कहकर अपनी ओर का शीशा डाउन किया था। कार पानी में उतरी, तो वह निकलने लगी। दादा फूलसिंह पटेल ने उसका हाथ पकड़ा। रोशनी ने कुछ सेकंड तक उनका हाथ खींचा और बाहर निकालने की कोशिश की, लेकिन वह कामयाब नहीं हो सकी। सुबह बचाव कर्मियों को फूल सिंह का शव पानी में बहता दिखा। अनुमान लगाया गया कि वो कार से बाहर तो निकल पाए, लेकिन पानी से बाहर नहीं आ सके। मीनू, महेंद्र और पार्वती के शव कार के भीतर ही मिले।