कोरोना के कारण मिड-डे मील के बदले स्कूल में छात्र-छात्राओं को चावल दिया जा रहा है। चावल लेने के लिए उनको 20 किलोमीटर तक पैदल चलना पड़ रहा है। जाजपुर जिले के नगड़ा से 10 किलोमीटर दूर सातकुलिया पहाड़ के नीचे मौजूद देवगांव प्राथमिक विद्यालय से बच्चे सिर पर चावल रखकर अपने गांव लौटते नजर आए। वे पैदल चलकर 10 किलोमीटर गए और फिर पैदल ही सिर पर चावल रखकर लौटे।
नगड़ा एवं गुहिशााल स्कूल में पांचवी कक्षा तक पढ़ाई की व्यवस्था है। इसी तरह से तुमुड़ी में स्कूल ना होने से यहां के बच्चों को पहली कक्षा से देवगांव स्कूल में नाम लिखाना पड़ता है। इस साल नगड़ा के 16, गुहिशााल के नौ तथा तुमुड़ी के 28 बच्चों को मिलाकर पहाड़ी इलाके के कुल 53 आदिवासी छात्र-छात्राओं का नाम देवगांव स्कूल में नाम लिखा गया है। एक दिन पूर्व पहले चरण में नगड़ा एवं गुहिशााल मौजा के 24 छात्र-छात्रा तथा बाद में तुमुडी के छात्र-छात्रा चावल लेने देवगांव पहुंचे थे।
चावल लेने के लिए छात्र छात्राओं को सुबह सात बजे अपने घर से निकलना पड़ा। चावल लेने गए अधिकांश छात्र छात्राओं के पैर में चप्पल-जूता नहीं था। ऐसे में, जंगली रास्ते पर चलना कितना कष्टदायक होगा यह आसानी से अनुमान लगाया जा सकता है। चावल लेकर लौट रहे थके हारे छात्र रास्ते में बैठकर विश्राम करते दिखे, रास्ते में प्यास लगने पर उन्होंने झरने के पानी से अपनी प्यास बुझाई। सुबह सात बजे घर से निकले छात्रों को घर पहुंचने में शाम के चार बज गए।