बीते महीने चीन से ऐसी खबरें आईं कि दिसंबर के शुरुआती 20 दिन में करीब 25 करोड़ लोग कोरोना पॉजिटिव हो चुके थे। इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए लोग फल खा रहे हैं, और देश में संतरे की कमी हो गई है। कोरोना से डरे लोग ब्लड डोनेट नहीं कर रहे, इससे ब्लड बैंक्स में खून की भारी कमी हो गई। इसके बावजूद जिनपिंग सरकार ने जीरो कोविड पॉलिसी हटा ली। नए मरीजों का डेटा और मौतों की संख्या पहले काफी कम बताई, फिर 25 दिसंबर से बताना ही बंद कर दिया। इन खबरों से दो बातें पता चलीं। पहली कि चीन में कोरोना की भयानक लहर चल रही है। और दूसरी कि सरकार इससे बेपरवाह है। चीन के शहरों में लाखों केस रोज मिल रहे हैं, पर अचानक कुछ वीडियो आने लगे, जिनमें चीन में रह रहे भारतीय कहते हैं कि यहां कोरोना नहीं है। इंडियन मीडिया में चल रही खबरें गलत हैं। भारतीयों के वीडियो लगातार सामने आना चीन सरकार का प्रोपेगैंडा है। कम्युनिस्ट पार्टी की लोकल यूनिट से जुड़े लोग ऐसे वीडियो बनवा रहे हैं, ताकि कोरोना की वजह से चीन की इमेज खराब न हो। आमतौर पर ऐसे आदेश बीजिंग से लीडरशिप की तरफ से आते हैं। जो विदेशी चीन में रहते हैं, उनसे ‘चाइना इन माई आइज’ यानी ‘मेरी नजर में चीन’ कैम्पेन के तहत वीडियो बनवाए जाते हैं। ये वीडियो सरकारी मीडिया साइट पीपुल्स डेली पर अपलोड होते हैं। अच्छे वीडियोज को अवॉर्ड दिया जाता है, यानी ये एक तरह का पेड मूवमेंट हैं। यिवू, शेनजेन और गुआंगडोंग में भारत के कारोबारी ज्यादा रहते हैं। यहां काफी स्टूडेंट भी हैं। ज्यादातर वीडियो इन्हीं शहरों में बनाए गए हैं।