शोधार्थियों ने एक हालिया अध्ययन में पाया कि कोलेस्ट्राल कम करने वाले जीन से मोतियाबिंद का खतरा बढ़ सकता है। इसके लिए स्टैटिन समूह की दवाएं जिम्मेदार हो सकती हैैं। ये दवाएं कोलेस्ट्राल कम करने में प्रयुक्त होती है, लेकिन अनुवांशिक भिन्नता वाले व्यक्तियों को नुकसान पहुंचा सकती हैैं।
शोध निष्कर्ष जर्नल आफ अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन (जेएएचए) में प्रकाशित हुआ है। पूर्व में हुए अध्ययनों में कुछ ऐसे प्रमाण मिले हैं कि स्टैटिन दवाएं मोतियाबिंद के खतरे को बढ़ाती हैं। हालिया अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पाया कि स्टैटिन की गतिविधि की नकल करने वाले कुछ जीन भी स्वतंत्र रूप से मोतियाबिंद के खतरे को बढ़ा सकते हैं।
स्टैटिन समूह की दवाएं एचएमजी-सीओए-रिडक्ट्स (एचएमजीसीआर) नामक एंजाइम को बाधित कर एलडीएल-कोलेस्ट्राल के स्तर को कम करती हैं। पिछले अनुसंधानों ने पुष्टि की है कि मानव जीनोम के एचएमजीसीआर जीन क्षेत्र की भिन्नताएं कोलेस्ट्राल को किस तरह मेटाबोलाइजइ करती हैं।
अध्ययन के प्रमुख लेखक जोन्स घौसे के अनुसार, ‘हम एचएमजीसीआर की नकल करने वाले आनुवंशिक वारिएंट और मोतियाबिंद में संबंध स्थापित करने में सफल रहे।” घौसे डेनमार्क स्थित कोपेनहेगेन यूनिवर्सिटी के बायोमेडिकल साइंस विभाग की मालिक्यूलर कार्डियोलाजी प्रयोगशाला में फेलो हैं।