इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म से सामग्री (कंटेंट) हटाने के केंद्र सरकार के कुछ आदेशों को टि्वटर ने कर्नाटक हाई कोर्ट में चुनौती दी है। याचिका में अधिकारियों पर अधिकारों के दुरुपयोग का आरोप लगाया गया है। आदेशों की न्यायिक समीक्षा का अमेरिकी इंटरनेट मीडिया कंपनी का यह प्रयास भारत सरकार के साथ बढ़ते तनाव का हिस्सा है। क्योंकि सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव का साफ कहना है कि कोई भी कंपनी हो, किसी भी सेक्टर की हो, उन्हें भारत के कानून मानने ही चाहिए। यह हर एक की जिम्मेदारी है कि वह संसद द्वारा पारित कानूनों का पालन करे।
पिछले करीब एक साल में भारतीय अधिकारियों ने टि्वटर से अलग खालिस्तान का समर्थन करने वाली, कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों के बारे में दुष्प्रचार करने वाली और कोविड महामारी से निपटने में सरकार की आलोचना करने वाली पोस्ट समेत विभिन्न् सामग्रियों पर कार्रवाई करने के लिए कहा है। पिछले महीने ही सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने टि्वटर को कुछ आदेशों का पालन नहीं करने पर आपराधिक कार्यवाही की चेतावनी दी थी। जिनमें सात साल तक की जेल और जुर्माने का प्रावधान है। दायित्वों से छूट हासिल रखने के लिए टि्वटर ने इस हफ्ते उन आदेशों का अनुपालन किया है।
कर्नाटक हाई कोर्ट में दायर याचिका में टि्वटर ने दलील दी है कि सामग्री हटाने के कुछ आदेशों में सूचना प्रौद्योगिकी (आइटी) अधिनियम की प्रक्रियागत आवश्यकताओं को पूरा नहीं किया गया है। साथ ही कुछ आदेशों में सामग्री के रचनाकारों को नोटिस नहीं दिए गए हैैं। याचिका में टि्वटर ने कहा है कि कुछ आदेश राजनीतिक पार्टियों के आधिकारिक हैैंडलों से पोस्ट की गई राजनीतिक सामग्री से संबंधित हैैं और उन्हें ब्लाक करने से अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन होगा।
आइटी अधिनियम में सरकार को अन्य कारणों के साथ-साथ राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में सामग्रियों को प्रतिबंधित करने का अधिकार है। अश्विनी वैष्णव का कहना है कि सरकार इंटरनेट मीडिया कंपनियों को उनके कंटेंट के लिए जवाबदेह बनाएगी। उन्होंने कहा, ‘इंटरनेट मीडिया की जवाबदेही दुनियाभर में एक वाजिब सवाल बन गई है। इसे जवाबदेह बनाना महत्वपूर्ण है जो पहले स्व-नियमन से शुरू होगी, फिर औद्योगिक नियमन होगा और उसके बाद सरकारी नियमन।” उन्होंने कहा, ‘जो भी कानूनी बदलाव जरूरी होंगे, हम करेंगे। मीडिया समूहों के अंदर स्व-नियमन की जरूरत है… स्व-नियमन किया जाएगा… लेकिन जहां जरूरत होगी इंटरनेट मीडिया को और जवाबदेह बनाने के लिए हम सभी कदम उठाएंगे।”
सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री ने इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्मों के लाभ साझा करने के बारे में भी बात की। उन्होंने कहा कि अगर इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म संवाददाताओं और पत्रकारों के इनपुट का इस्तेमाल करते हैैं और इन प्लेटफार्मों को उन्हें भी भुगतान करना चाहिए।
याद दिला दें कि पिछले साल भी टि्वटर और भारत सरकार के बीच तनाव काफी बढ़ गया था जब इंटरनेट मीडिया कंपनी ने उन अकाउंट्स और पोस्ट को हटाने के आदेश्ाों का पूरी तरह पालन करने से इन्कार कर दिया था जिनके बारे में सरकार का आरोप था कि वे कृषि कानून विरोधी प्रदशर््ानों के बारे में गलत जानकारियां फैला रहे हैैं। कंपनी को पुलिस जांच का भी सामना करना पड़ा।
पिछले साल कई केंद्रीय मंत्री और नौकरशाह टि्वटर पर स्थानीय कानूनों का अनुपालन नहीं करने का आरोप लगाते हुए स्वदेश में विकसित प्लेटफार्म ‘कू” पर शिफ्ट हो गए थे। जबकि राजनेताओं समेत कई प्रभावशाली लोगों के अकाउंट ब्लाक करने के कारण आक्रोश का सामना कर चुके टि्वटर का कहना है कि वह खुलेपन और पारदर्शिता के सिद्धांतों के लिए प्रतिबद्ध है।