कांग्रेस में काफी दिनों से उपेक्षित महसूस कर रहे जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद की भाजपा नेताओं के बढते मेल-मिलाप और नजदीकियों से कांग्रेस को बेचैन कर रही हैं। हालांकि आजाद सार्वजनिक तौर पर भाजपा में आने से इन्कार कर चुके है। इसके बावजूद राज्यसभा का कार्यकाल खत्म होने के बाद वह लगातार भाजपा नेताओं के साथ नजर आ रहे हैं। भाजपा नेता भी सार्वजनिक कार्यक्रमों में उनका गुणगान कर रहे हैं। गत दिनों नई दिल्ली में एक कार्यक्रम के दौरान आजाद की भाजपा नेताओं संग उपस्थिति ने इस मुद्दे को फिर हवा दे दी।
गौर हो कि राज्यसभा में आजाद और अन्य सदस्यों के लिए विदाई भाषण के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा उनकी खुलकर सराहना करने के बाद से ही कयास लगने लगे थे। मगर आजाद ने खुद सामने आकर भाजपा में जाने की अटकलों पर विराम लगा दिया था। अब नई दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में आजाद की केंद्रीय मंत्रियों मुख्तार अब्बास नकवी और जितेंद्र सिंह संग भागेदारी ने इन चर्चाओं को फिर हवा दे दी है।
सरकारी तौर पर आयोजित उर्दू मुशायरे में आजाद के पोस्टर बहुत से सवालों के स्वयं जवाब दे रहे थे और कई नए सवाल पैदा भी कर रहे थे। वह कार्यक्रम में मंत्रियों के साथ बैठे और इसीलिए सबके आकर्षण का केंद्र भी रहे। कार्यक्रम भले ही सरकार द्वारा आयोजित किया गया था, लेकिन चर्चा में केवल आजाद ही थे। मुशायरे में उपस्थित शायर बार-बार आजाद का नाम लेने से नहीं चूके। इस घटना के बाद भले ही कांग्रेस नेता इस पर टिप्पणी करने से बच रहे हैं, पर पार्टी में खलबली साफ महसूस की जा रही है।
आजाद कभी गांधी परिवार के करीब रहे हैं। मगर कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव का कार्यकाल खत्म होने के बाद संगठन में अहम जिम्मेदारी नहीं दी गई थी। अब राज्यसभा का कार्यकाल खत्म होने के बाद भी उन्हें फिर राज्यसभा में लाने की दिशा में पार्टी स्तर पर कोई पहल नहीं हुई है। इसके विपरीत मल्लिकार्जुन खड़गे को आजाद की जगह राज्यसभा में विपक्ष का नेता बना दिया है।
ऐसे में आजाद कांग्रेस में असहज महसूस कर रहे हैं। गत दिनों उन्होंने कहा था कि अब उन्हें पार्टी में किसी पद की अभिलाषा नहीं है। इसके बाद से भाजपा से उनकी नजदीकियां बढ़ रही हैं। कयास लगाए जा रहे हैं कि आजाद भाजपा के समर्थन से देश के उपराष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार हो सकते हैं। जम्मू-कश्मीर में आजाद के समर्थक भी मान चुके हैं कि की कांग्रेस में उनकी पारी समाप्त हो चुकी है। मगर वे बोलने से कतराते हैं, क्योंकि अंतिम फैसला आजाद को लेना है।