ट्रेन यात्री और उनको ट्रेन पर चढाने आने वाले आमतौर पर प्लेटफार्म के किनारे खड़े होकर आती हुई ट्रेन को झांककर देखते हैं। मगर अब ऐसा करना अपराध की श्रेणी में आ गया है। प्लेटफार्म पर यात्रियों की सुरक्षा के लिए प्लेटफार्म किनारे से डेढ़ फीट तक पीली लाइन या पीले रंग के पत्थर लगे होते हैं। नियम के अनुसार ट्रेन आते समय पीली लाइन से बाहर खड़े होना है और जब ट्रेन पूरी तरह रुक जाए तभी अंदर जाना है। ऐसा नहीं करने पर 500 रुपये जुर्माना या एक माह की सजा का प्रावधान है।
ट्रेन आने की घोषणा होते ही प्लेटफार्म पर खड़े अधिकांश यात्री ट्रेन देखने के लिए ट्रैक पर झांककर देखते हैं। आरपीएफ ऐसे यात्रियों को पकड़ कर रेलवे एक्ट की धारा 147 के तहत कार्रवाई करती है। इसी धारा के अंतर्गत रेललाइन पार करने, बंद रेल फाटक से निकलने वालों के खिलाफ कार्रवाई होती है। इसके अलावा रेलवे स्टेशन परिसर में जोर-जोर से बातें, झगड़ा करने, अभद्र व्यवहार पर रेलवे की धारा 145 के तहत कार्रवाई होती है। इसके लिए भी पांच सौ रुपये जुर्माना या एक माह के कारावास की सजा है। वहीं ड्यूटी पर तैनात रेलवे कर्मचारी के कार्य में बाधा उत्पन्न् करने पर धारा 146 के तहत कार्रवाई होती है।
महिला कोच में सवार पुरुष यात्री रेलवे एक्ट की धारा 162 और दिव्यांग कोच में गैर दिव्यांग के सवार होने पर धारा 155 की तहत कार्रवाई होती हैै। इसके अलावा ट्रेन की छत या पायदान पर बैठकर सफर करने वालों के खिलाफ 156 के तहत कार्रवाई सुनिश्चित की गई है। इसमें भी 500 रुपये का जुर्माना लगता है या एक माह के कारावास की सजा हो सकती है।