एक पिता अपने इकलौते बेटे और बहू पर बच्चे पैदा नहीं करने को लेकर दबाव बना रहे हैं। उन्होंने धमकी दी है कि यदि उन्हें संतान हुई तो दोनों को अपनी संपत्ति से बेदखल कर देंगे। यही वजह है कि बेटे और बहू को शादी के सात साल बाद भी बच्चे का सुख नहीं मिल पाया। ससुर के इस व्यवहार से दुखी बहू ने थक हारकर कुटुंब न्यायालय पहुंची। उसने अपील की कि उनके ससुर को समझाया जाए। कुटुंब न्यायालय में छह काउंसिलिंग के बाद भी ससुर नहीं माने।
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के एक सेवानिवृत्त अधिकारी ने अपने बहू-बेटे पर इस तरह का बंधन लगाया है। शादी के शुरुआती सालों में तो बहू ने ससुर और पति को समझाने की कोशिश की, लेकिन मामला नहीं सुलझा। समाज और परिवार के तानों से परेशान होकर आखिरकार बहू ने सितंबर 2020 में कुटुंब न्यायालय में आवेदन दिया। उन्होंने काउंसलर सरिता राजानी के सामने अपनी बात रखी। सुनवाई के बाद भी हल नहीं निकला है। काउंसलर राजानी ने बेटा और बहू को अलग घर लेकर रहने की सलाह दी, लेकिन पति अपने पिता को छोड़ना नहीं चाहता है। वहीं ससुर भी मानने के लिए तैयार नहीं हैं। सास की कई साल पहले मौत हो चुकी है।
जब काउंसलर ने सेवानिवृत्त अधिकारी को बुलाया तो उन्होंने तर्क दिया कि यदि बेटे-बहू को बच्चा हुआ तो वे मेरी देखभाल नहीं करेंगे। मुझे वृद्धाश्रम भेज देंगे। बेटे की शादी संतान उत्पत्ति के लिए नहीं की है। बेटे-बहू का पहला फर्ज मेरी सेवा करना है। मेरे मरने के बाद ये लोग संतान पैदा कर सकते हैं। यदि बहू को संतान चाहिए तो वह मेरे बेटे को तलाक देकर दूसरी शादी कर सकती है। पहली काउंसिलिंग में पति ने कहा कि पिता नहीं चाहते हैं कि कोई संतान हो। अगर हमने ऐसा किया तो वे अपनी संपत्ति से हमें बेदखल कर देंगे। पति निजी कंपनी में कर्मचारी हैं। हालांकि काउंसिलिंग के दौरान बहू ने वादा किया कि वह कोर्ट में शपथ पत्र देने को तैयार हैं कि बच्चा होने के बाद भी वह ससुर की सेवा करेंगी।