रायपुर। छत्तीसगढ़ में कोरोना का पहला प्रकरण 18 मार्च 2020 को जांच में पॉजिटिव मिला था। आज इस भयावह बीमारी से जूझते हुए 1 साल पूरा हो चुका हैं। इस दौरान हमने हर दिन नए अनुभव को महसूस किया है। कभी डरावना तो कभी संतोषजनक और सीख देने वाला। इन परिस्थिति में जीवन के उतार-चढ़ाव को महसूस करते हुए छत्तीसगढ़ के लोगों ने बीमारी से लड़ने की हिम्मत भी जुटा ली।
कोरोना को राज्य में आए एक साल पूरे होने पर स्वास्थ मंत्री ने भी अपने विचार साझा किए। संघर्ष के इस दौर पर आधारित एक वीडियो मंत्री टी एस सिंहदेव ने आज राज्य के लोगों के लिया जारी किया है।
देखिए वीडियो.
आत्मविश्वास का बहुत बड़ा रोल है बचाव में
कोरोना कल के दौरान डॉक्टर और स्वास्थ्य कर्मियों की बेहद बड़ी भूमिका रही है। इसे कभी भी नकारा नहीं जा सकता। डॉक्टर दीपक जयसवाल पिछले 1 साल से कईयों कोरोना संक्रमित मरीजों का इलाज कर चुके हैं। इस दौरान उन्होंने नही दिन देखा है और ना ही रात बस मन में एक ही विश्वास रहता था कि हर संक्रमित मरीज को स्वस्थ कर उसके परिवार से मिलाना। कोरोना को 1 साल पूरे होने पर डॉक्टर जायसवाल से हमने बात की और उनके अनुभव जानने की कोशिश की। इस दौरान उन्होंने बताया कि कोरोना बड़ी अजीब सी बीमारी है जो पहली बार देश में आई और जिसे समझ पाना हर किसी के लिए चुनौती थी। हर थोड़े थोड़े दिन में इसके लक्षण बदलते थे। पेशेंट भी काफी घबराए हुए रहते थे। ऐसे में उन्हें मोटिवेट करना उनकी काउंसलिंग करना और उन्हें ठीक करना काफी चुनौतीपूर्ण रहा। हमें ऐसे कई पेशेंट मिले जो मानसिक रूप से यह बीमारी होने के कारण टूट से गए थे। उन्हें मोटिवेट कर उनका आत्मविश्वास बढ़ाया और यह महसूस हुआ की विश्वास से ये जंग जीती जा सकती है। कोरोना के लिए सबसे ज्यादा आवश्यक है कि थोड़े भी लक्षण होने पर तुरंत जांच करें। इसे बढ़ाने ना दें इसे फैलने ना दें और सबसे पहले डॉक्टर से संपर्क करें। इस बीमारी से बचा जा सकता है लेकिन इसके लिए सावधानी रखना बेहद आवश्यक है।
डॉ. दीपक जायसवाल
और जीत ली कोरोना की जंग
कोरोना में संक्रमण से जूझ कर एक बार फिर से अपने जीवन में दोबारा लौटने वाली सुधा कि अगर माने तो वह बड़ा ही कष्टदायक समय था। जब उन्हें कोरोना हुआ तो वह गर्भवती थीं। ऐसी स्थिति में उनका संक्रमित होना पूरे परिवार के लिए बेहद कष्टदायक समय था। हर किसी को चिंता थी कि मां और बच्चा दोनों स्वस्थ रहें लेकिन डॉक्टरों के साथ और खुद के आत्मविश्वास के कारण उन्होंने यह जंग जीती अब वह पूरी तरह स्वस्थ है और अपनी पुत्री को जन्म दे चुकी है। उनका अनुभव कहता है कि कोरोना की लड़ाई अगर आत्मविश्वास और जागरुकता के साथ लड़ी जाए तो यह कुछ हद तक आसान हो जाती है लेकिन इसके साथ यह भी आवश्यक है कि किसी भी तरह की लापरवाही न बरती जाए। थोड़ा भी लक्षण आने पर तुरंत जांच करवा कर इलाज चालू करवाया जाए। इससे हम अपने साथ-साथ अपने से जुड़े सभी लोगों की जान बचा सकते हैं।