बिलासपुर से कटनी रेलरूट में मरही माता की महिमा अपार है। यहां ट्रेन की रफ्तार भी थम जाती है और बिना दर्शन यात्री रास्ता पार नहीं करते। नवरात्र पर बिलासपुर से कटनी रेल मार्ग पर स्थित भनवारटंक रेलवे स्टेशन की मरही माता मंदिर में भक्तों का सैलाब उमड़ रहा है। नवरात्र के पहले दिन से ही भक्तों की भीड़ मंदिर में मातारानी के दर्शन के लिए पहुँच रही है। यह मंदिर भनवारटंक रेलवे स्टेशन के ठीक किनारे स्थित है। माता का आशीर्वाद लोगों को मिल सके, इसके लिये यहां ट्रेनें रुकती हैं।
मां की महिमा का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यहां से गुजरने वाली ट्रेनों की रफ्तार भी मंदिर के सामने धीमी हो जाती है। बिलासपुर कटनी रेल रूट पर जंगलों के बीच स्थित मरही माता मंदिर में भी अन्य मंदिरों की तरह ही नवरात्र पर विशेष पूजा अर्चना होती है। मंदिर में पूरे नौ दिनों तक होने वाली विशेष पूजा अर्चना में भारी संख्या में श्रध्दालु शामिल होते हैं। इसके अलावा मंदिर में मन्नत पूरी होने पर बलि भी देने की परंपरा पर है, पर अब मंदिर प्रबंधन ने रोक लगा दिया है। सन 1984 में इंदौर बिलासपुर नर्मदा एक्सप्रेस से बड़े रेल हादसे के बाद यहां रेलवे कमर्चारी और वन विभाग के लोगों ने मरही माता की मूर्ति को यहां पर विराजित किया था। इसके बाद यहां पर एक छोटे से मंदिर का निर्माण कराया गया।
मान्यता है कि मरही माता के आशीर्वाद से ही बिलासपुर कटनी रेल रूट की जंगली और पहाड़ी क्षेत्र भनवारटंक में हादसों से रक्षा होती है। नवरात्र के पहले दिन से ही यहां श्रद्धालुओं का रेला लगता है। जहां लोग मन्नत के लिए नारियल बांधकर दुआएं मांगते हैं। यहां माता को प्रणाम करने के बाद ही लोग आगे की यात्रा पूरी करते हैं। मरही माता के मंदिर में भीड़ ही काफी है मां की महिमा बतलाने के लिए। वहीं रेलवे स्टेशन पर कोई सुविधा नहीं होने के कारण लोग पटरियों पर चलने और बैठकर इंतजार करने का जोखिम उठाते नजर आते है जिससे किसी भी वक्त कोई भी हादसा होने की संभावना बनी रहती है हालांकि मंदिर प्रबंधन ने सचेत करने की व्यवस्था कर रखी है।