पंचांगीय गणना के अनुसार शुक्रवार से वैशाख मास का आरंभ होगा। ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर में गलंतिका बांधी जाएगी। वैशाख मास में शिप्रा स्नान का विशेष महत्व है। श्रद्धालु वैशाख प्रतिपदा से पूर्णिमा तक एक माह शिप्रा स्नान करेंगे। वैशाख में कल्पवास का विशेष महत्व है। अनेक साधु-संत उज्जैन में शिप्रा तट पर कल्पवास करने के लिए उज्जैन पहुंच गए हैं। चैत्र पूर्णिमा से उन्होंने अग्नि स्नान अर्थात धूना तापना भी शुरू कर दिया है।
महाकालेश्वर मंदिर की परंपरा अनुसार वैशाख कृष्ण प्रतिपदा से गर्मी की शुरुआत मानी जाती है। पुजारियों के अनुसार वैशाख व ज्येष्ठ दो माह अत्यधिक गर्मी वाले होते हैं। इसलिए दो माह भगवान महाकाल को शीतलता प्रदान करने के लिए उनके शीश 11 मिट्टी के कलशों की गलंतिका बांधी जाती है तथा अविरल शीतल जलधारा प्रवाहित की जाती है। इस बार भी वैशाख कृष्ण प्रतिपदा पर शुक्रवार सुबह छह से शाम चार बजे तक गलंतिका बांधी जाएगी। यह क्रम पूरे दो माह तक चलेगा।
पं. महेश पुजारी ने बताया समुद्र मंथन के समय भगवान शिव ने गरल (विष) पान किया था। धार्मिक मान्यता के अनुसार गरल अग्निशमन के लिए ही भगवान का जलाभिषेक किया जाता है। गर्मी के दिनों में विष की उष्णता और बढ़ जाती है, इसलिए मिट्टी के कलशों से शीतल जलधारा प्रवाहित की जाती है। मंगलनाथ व अंगारेश्वर महादेव मंदिर में भी वैशाख में गलंतिका बांधी जाएगी।