सरपंच मान रहे उनके कार्यकाल में नहीं रही कोई उपलब्धि
सक्ती। कभी आदर्श ग्राम रही ग्राम पंचायत सकरेली कला इन दिनों बुनियादी सुविधाओं के अभाव में तरस रही है। गांव के जनप्रतिनिधियों की निष्क्रियता का ही परिणाम है कि आदर्श ग्राम अब अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है। स्वयं सरपंच यह मान रहे हैं कि पंचायत के इस कार्यकाल में उनकी कोई उपलब्धि नहीं है। भाजपा में रहते हुए अनेकों विकास कार्य करने का दावा करने वाले पंचायत चुनाव के बाद कांग्रेस का दामन इसलिए थाम लिए क्यूंकि भाजपा का तमगा लगे रहने के कारण उनके गांव के लिए विकास कार्य को स्वीकृति मिलनी मुश्किल हो जाएगी। आखिरकार कई भाजपाई सरपंचों ने कांग्रेस प्रवेश कर लिया इसमें सबसे अधिक चर्चा में रहे ग्राम पंचायत सकरेली कला के सरपंच डमरूधर साहू, क्यूंकि ये भाजपा के पूर्व विधायक डॉक्टर खिलावन साहू की गुड लिस्ट में थे। सरकार बदलते ही सरपंच डमरूधर ने भी पाला बदल लिया और कांग्रेस के बड़े नेताओं के आशीर्वाद से सरपंच संघ अध्यक्ष बनने में सफलता हासिल कर ली, लेकिन अब देखने को मिल रहा है कि उनकी इस जद्दोजहद का कोई सकारात्मक परिणाम नहीं मिल रहा है और कांग्रेस सरकार के तीन साल तथा स्वयं के दो साल के कार्यकाल के बाद भी कोई उपलब्धि बता पाने में नाकाम हैं। उनके गांव का विकास अधर में लटका हुआ है। विदित हो कि ग्राम पंचायत सकरेलीकला सदैव चर्चित रहा है इस पंचायत के पिछले कार्यकाल में बने शौचालय निर्माण में हुई भारी गड़बड़ी भी जग जाहिर है, लेकिन एकाएक शौचालय मामला क्यों दबा इसकी पुन: पड़ताल किए जाने के प्रयास किए जा रहे हैं।
कांग्रेस में जाना कहीं गले की फांस तो नहीं बन गया
जिस उद्देश्य को लेकर कांग्रेस में जाना हुआ वह पूरा होता हुआ दिखाई नहीं दे रहा है। जिस भाजपा को 10 सालों तक प्रमुख कार्यकर्ता बनकर सींचा सरकार बदलते ही में कांग्रेस के हो चले, लेकिन कांग्रेस में आने के बाद भी कोई खास फायदा होता हुआ नजर नहीं आ रहा है। अब यहां के सरपंच को ना तो उगलते बन रहा है और ना निगलते। ऐसे में अब प्रश्न यह उठता है कि क्या बिना किसी विकास के सकरेली कला पंचायत का यह कार्यकाल ऐसे ही गुजर जाएगा या फिर बलिदान का कोई फायदा होगा यह आने वाले बचे कुछ साल में साफ हो जाएगा।