आज की बेटियां शिक्षा और करियर को लेकर किस तरह से संजीदा हैं। इसका ताजा उदाहरण भोपाल के कुटुंब न्यायालय पहुंचा एक मामला है। मास्टर आफ कंप्यूटर एप्लीकेशन (एमसीए) की छात्रा ने घर से फीस न मिलने पर पिता के खिलाफ वाद दायर किया है। इस मामले की सुनवाई द्वितीय अतिरिक्त प्रधान न्यायाधीश पीसी गुप्ता कर रहे थे। उन्होंने पिता-पुत्री के बीच मतभेद को बातचीत कराकर खत्म कराया। इसके बाद पिता ने बेटी की पढ़ाई के लिए उसके नाम तीन लाख रुपये की एफडी कर दी। बेटी ने कोर्ट में कहा कि एफडी के अलावा उसे प्रत्येक माह भरण-पोषण की राशि भी चाहिए।
गौर हो कि एक सरकारी विभाग में उच्च अधिकारी पद से सेवानिवृत्त पिता के तीन बच्चे हैं। इनमें सबसे बड़े बेटे और दूसरे नंबर की बेटी की शादी हो चुकी है। उनकी तीसरी बेटी ने इस साल एमसीए में प्रवेश लिया है। बीच सत्र में पिता ने बेटी की फीस देने से इन्कार कर दिया तो वह अपने अधिकार के लिए कोर्ट पहुंच गई। बेटी ने सुनवाई के दौरान कहा कि पांच साल पहले उसकी मां की मौत के बाद पिता ने दूसरी महिला से शादी कर ली। सौतेली मां के आने के बाद पिता का व्यवहार बदल गया है। मां एक-एक पैसे का हिसाब मांगती है, जबकि अपने बेटे के लिए करीब 18 लाख रुपये का फ्लैट पिता से पैसा निकलवा कर खरीद कर दे दिया। सौतेली मां उसकी शादीशुदा बड़ी बहन और बहनोई के साथ भी दुर्व्यवहार करती है। बड़े भाई अपने परिवार के साथ अलग रहते हैं तो उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता कि मां क्या करती है, लेकिन वह मां के दबाव और अभावों भरी जिंदगी नहीं जी सकती। बेटी ने कहा कि माता और पिता दोनों को वेतन मिलता है। ऐसे में उसे तीन लाख रुपये के साथ हर माह करीब सात हजार रुपये खर्च के लिए अलग से भरण-पोषण के रूप में मिलना चाहिए ताकि उसकी पढ़ाई पूरी हो सके।