दुबई। दुबई का पहला मंदिर दशहरे पर आम लोगों के लिए खुल गया। इसका औपचारिक उद्घाटन मंगलवार रात हुआ। बुधवार से श्रद्धालुओं ने 16 देवी-देवताओं के दर्शन किए। सफेद संगमरमर से बने इस मंदिर के पास ही गुरुद्वारा और चर्च भी हैं। मंदिर निर्माण में यूएई के रूलर्स और कम्युनिटी डेपलपमेंट अथॉरिटी ने अहम भूमिका निभाई। यहां डिजिटल लाइब्रेरी और वैदिक लैंग्वेज क्लासेज भी होंगी। यह मंदिर जाबेल अली एरिया में है। इस इलाके को वर्शिप विलेज या पूजा गांव भी कहा जाता है। इसकी वजह यह है कि यहां 6 चर्च और सिख श्रद्धालुओं के लिए बेहद खूबसूरत गुरू नानक दरबार गुरुद्वारा भी है। गल्फ न्यूज के मुताबिक- मंदिर में सभी देशों और मजहब के लोग आ सकते हैं। यहां सिखों का पवित्र ग्रंथ गुरू ग्रंथ साहिब भी मौजूद है। मंदिर की दीवारों पर खूबसूरत और बारीक नक्काशी भी देखी जा सकती है। मंदिर का आर्किटेक्चर देखते ही बनता है। यहां एक बड़ा प्रार्थना सभागार है। इसी में ज्यादातर देवी-देवताओं की प्रतिमाएं हैं। इसकी सफेद दीवारों के ऊपर 3डी प्रिंट वाला गुलाबी रंग का कमल पुष्प बनाया गया है। यहां डिजिटल लाइब्रेरी है। वैदिक भाषा से जुड़ी जानकारी के लिए फिजिकल और आॅनलाइन क्लासेज भी आॅर्गनाइज की जाएंगी। जरूरतमंदों की मदद के लिए मेडिकल और एजुकेशनल फेसेलिटीज भी होंगी। मंदिर की छत पर पीतल की सैकड़ों घंटियां लगाई गई हैं और ये यहां के हर हिस्से में नजर आती हैं। एंट्री सिर्फ क्यूआर कोड बेस्ड अपॉइंटमेंट बुकिंग सिस्टम से होगी। यहां आने वाले हर श्रद्धालु को सोशल डिस्टेंसिंग रखनी होगी। मंदिर में ज्यादातर हिस्से को सफेद संगमरमर से तैयार किया गया है। कई जगहों पर काले संगमरमर का इस्तेमाल भी किया गया है। मूर्तियां जयपुर, कन्याकुमारी और मदुरई के कुशल कारीगरों ने तराशी हैं। यहां हिंदी और अरबी में निर्देश लिखे गए हैं। किचन में एक बार में एक हजार लोगों के भोजन तैयार होगा। अबुधाबी में भी एक मंदिर तैयार बन रहा है। यह अगले साल दिवाली तक तैयार हो जाएगा। इसकी तारीख फिलहाल तय नहीं है। खलीज टाइम्स के मुताबिक- यह मंदिर वास्तव में सिंधी गुरु दरबार टेम्पल का एक्सटेंशन है, जो वअए का सबसे पुराना मंदिर है। नए मंदिर का शिलान्यास फरवरी 2020 में किया गया था।निर्माण में वअए सरकार ने पूरा सहयोग प्रदान किया है। अंदर के पिलर्स की डिजाइन गुजरात के सोमनाथ मंदिर से प्रेरित है। शिखर हिंदू मंदिर के नागर शैली से प्रेरित हैं। मंदिर के निर्माण पर अनुमानित तौर पर 550 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं। इसका शिखर पूरी तरह पीतल का है, यह काफी दूर से नजर आता है।