मणिपुर में भूस्खलन से आठ लोगों की मौत हो गई, जबकि 70 से अधिक लोग लापता बताए गए हैं। यह भीषण हादसा बुधवार रात नोनी जिले के टुपुल यार्ड रेलवे कंस्ट्रक्शन कैंप के निकट हुआ है। मरने वालों में स्थानीय लोगों के साथ ही प्रादेशिक सेना (टेरिटोरियल आर्मी) के सात सदस्य भी शामिल हैं। अधिकारियों ने कहा है कि अब तक आठ शव निकाले जा चुके हैं। इनमें सात प्रादेशिक सेना के जवानों के हैं। मलबे के नीचे लगभग 72 लोगों के फंसे होने की आशंका है, जिसमें प्रादेशिक सेना के 43 जवान शामिल हैं। घटना स्थल पर राहत एवं बचाव कार्य जारी है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मुख्यमंत्री एन बिरेन सिंह से फोन पर बात कर भूस्खलन से पैदा हुई स्थिति की समीक्षा की। उन्होंने केंद्र से हरसंभव मदद देने का आश्वासन भी दिया। उन्होंने शोकाकुल परिवारों के साथ संवेदना व्यक्त करते हुए घायलों के जल्द स्वस्थ होने की कामना की। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस घटना को लेकर राज्य के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह और रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव से बात की है। शाह ने कहा कि राहत एवं बचाव कार्य के लिए एनडीआरएफ की टीम भूस्खलन स्थल पर पहुंच गई है। मुख्यमंत्री ने स्थिति की समीक्षा के लिए आपातकालीन बैठक बुलाई है। उन्होंने मारे गए लोगों के स्वजन को पांच-पांच लाख और घायलों को 50 हजार रुपये की अनुग्रह राशि देने की घोषणा की है।
भूस्खलन के बाद बड़े पैमाने बिखरे मलबे ने इजेई नदी के बहाव को अवरुद्ध कर दिया है, जिससे आसपास के निचले इलाकों में पानी भर सकता है। नोनी के डिप्टी कमिश्नर ने एडवाइजरी जारी कर कहा है कि भूस्खलन के कारण दर्जनों लोग जिंदा दफन हो गए हैं। इजेई नदी का प्रवाह भी मलबे से बाधित हो गया है। इससे जिले के निचले इलाकों में पानी भरने से स्थिति गंभीर हो सकती है। लोगों को सावधानी बरतने की सलाह दी गई है। बढ़ते खतरे को देखते हुए बच्चों को नदी के आसपास न जाने को कहा गया है। इसके साथ ही नदी के आसपास रह लोगों को अपने घरों को खाली करने को भी कहा गया है। यात्रियों को राष्ट्रीय राजमार्ग-37 से बचने की भी सलाह दी गई है।