धर्म ग्रंथों के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मध्य रात्रि यानी 12 बजे रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। इस बार अष्टमी तिथि 18 अगस्त, गुरुवार की रात 09:21 से 19 अगस्त, शुक्रवार की रात लगभग 11 बजे तक रहेगी। काशी पंचांग के अनुसार गुरुवार रात्रि 12.14 से आरम्भ होकर शुक्रवार की रात्रि 1.6 तक रहेगा।
पंडित मनोज शुक्ला के अनुसार शुक्रवार 19 अगस्त को ही भगवान का जन्मोत्सव मनाना बेहतर है। धर्म ग्रंथों के अनुसार, जिस समय भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था, उस समय सूर्य सिंह राशि में, चंद्रमा वृष राशि में था। साथ ही उस समय रोहिणी नक्षत्र भी था। इस बार सूर्य और चंद्रमा तो इन्हीं राशियों में रहेंगे, लेकिन रोहिणी नक्षत्र न तो 18 अगस्त को रहेगा और न ही 19 अगस्त को। 19 अगस्त को कृत्तिका नक्षत्र रात करीब 01.52 तक रहेगा। इसके बाद रोहिणी नक्षत्र आरंभ होगा। यानी इस बार जन्माष्टमी पर रोहिणी नक्षत्र का संयोग नहीं रहेगा।
अति दुर्लभ संयोग में मनेगा जन्माष्टमी पर्व
19 अगस्त को कृत्तिका नक्षत्र होने से छत्र नाम का शुभ योग दिन भर रहेगा। इसके साथ ही ध्रुव नाम का एक अन्य शुभ योग भी इस दिन रहेगा। 19 अगस्त को चंद्रमा और मंगल एक ही राशि में रहेंगे, जिससे महालक्ष्मी योग बनेगा। साथ ही इस दिन सूर्य और बुध भी एक ही राशि में होने से बुधादित्य नाम का एक अन्य शुभ योग भी इस दिन रहेगा। इन शुभ योगों में की गई पूजा और उपाय धन लाभ देने वाले रहेंगे।