रायपुर,पूनम ऋतु सेन। विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा हमारे छत्तीसगढ़ राज्य का गौरव है। 75 दिनों तक चलने वाले इस लंबे और अनोखे पर्व की अपनी विशेष पहचान है। आदिवासी अंचल में मनाए जाने वाला यह त्यौहार विभिन्न रस्मों की कड़ी से जुड़ा है, हर एक रस्म की अपनी विशिष्टता है। इसी रस्मों की कड़ी में आज हम जंतरवाही के बारे में जानेंगे।
कल के पोस्ट में हमने नारफोड़नी की रस्म के बारे में जाना था। तो चलिए विस्तार से जानते हैं बस्तर दशहरा के अगले पारंपरिक चलन के बारे में-
बस्तर जिले का जिला मुख्यालय जगदलपुर है, इसी शहर के बीच एक सिरासार नामक चौक है, जहाँ पर एक प्राचीन प्रस्तरखण्ड है, इस प्रस्तरखण्ड की पूजा यहाँ के रहने वाले कर्मकार निवासी लगभग 400 वर्षों से कर रहे हैं।
आदिवासी सभ्यता के अंतर्गत ऐसी मान्यता है कि जंतरवाही, दंतेवाड़ा में स्थित दंतेश्वरी माता की बड़ी बहन है। इसी स्थल पर एक विशेष रस्म होती है, जिसमें मान्यता है कि दंतेश्वरी का जन्म होता है तथा बड़ी बहन जंतरवाही द्वारा नाल काटने की रस्म होती है। इस रस्म में दशहरे की यात्रा में प्रयुक्त होने वाले रथ के पहिये में लोहे के औजार से छेद किया जाता है, पहिये पर बाद में एक्सेल चढ़ाया जाता है। इसके बाद बकरे की बलि दी जाती है, जिसका अर्थ नाल काटने के बाद देवी स्नान से है। बकरे के रक्त को पहिये पर चढ़ाया जाता है। इसके बाद रथ के लिए एक्सेल या कील बनायी जाती है।
राजा दलपतदेव ने सन् 1727 में जगदलपुर को अपनी राजधानी बनाया था। इतिहासकारों का अनुमान है, कि संभवत: तत्कालीन कर्मकारों ने यह पत्थर मधोता या बस्तर से लाकर यहाँ सिरासार चौक में स्थापित किया होगा। बाद में कर्मकार इसे आराध्य मानकर पूजने लगे होंगे। 390 वर्षों से यह पत्थर इसी स्थान पर स्थापित है। ऐसी मान्यता है कि दशहरा में चलाए जाने वाले रथ में जो पहला लोहे का सामान पहिए में लगाया जाता है वह इसी पत्थर पर रखकर बनाया जाता है।
इस प्रकार जन्तरवाही रस्म के अंतर्गत मुख्य रस्म रथ के पहिये में लोहे के औजार से छेद किया जाना है, और यह लोहे का औजार यहाँ सिरासार में रखे प्रस्तरखण्ड के ऊपर रख कर बनाया जाता है और यह जन्तरवाही रस्म इसी के समीप पूरी की जाती है।
बस्तर दशहरा के लोक रस्मों की अगली कड़ी में हम पिरती फारा और डेरी गड़ाई जैसे प्रमुख रस्मों के बारे में जानेंगे। ऐसे ही छत्तीसगढ़ से जुड़े अन्य रोचक पहलुओं को पढ़ने और विस्तार से जानने के लिए Ekhabri.com से जुड़े रहें।
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