विश्व साक्षरता दिवस प्रति वर्ष 8 सितंबर को मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने का उद्देश्य लोगों में शिक्षा को बढ़ावा देना, जन साक्षर प्रतिशत में वृद्धि करना और शिक्षा के प्रति जन जागरूकता को बनाये रखना है।
इस बार यूनेस्को द्वारा कोरोना संकट के बीच साक्षरता दिवस मनाने के लिए थीम निर्धारित किया गया है। ये थीम हैं -“मानव-केंद्रित पुनर्प्राप्ति के लिए साक्षरता: डिजिटल विभाजन को कम करना”।
इसलिए मनाया जाता है साक्षरता दिवस
यूनेस्को ने 7 सितंबर 1965 को विश्व साक्षरता दिवस को मनाने का निर्णय किया और इसके एक साल बाद ही 8 सितंबर 1966 से प्रत्येक वर्ष मनाया जा रहा है। यूनेस्को की स्थापना के बाद से ही विश्व के कोने-कोने तक शिक्षा का दीपक जलाने की कोशिश जारी है और बहुत से हिस्सों में यह अपने उद्देश्य में सफल भी हुआ है।
साक्षरता से अभिप्राय
साक्षरता की उत्पत्ति साक्षर शब्द से ही हुई है, जिसका मूल अर्थ पढ़ने और लिखने में सक्षम बनने से है। 20वीं से 21वीं सदी में लगातार होते परिवर्तन और बढ़ते संसाधनों के स्तर से लोगों को रूढ़ियों से उबार कर जनशिक्षा के माध्यम से समाज कल्याण करना इस दिवस का मुख्य लक्ष्य है।
साक्षरता की ओर भारत के कदम
हमारे देश में भी साक्षरता को बढ़ाने के लिये विभिन्न प्रयास किये जा रहे हैं, जिसमें सर्व शिक्षा अभियान, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान, वृद्धों के लिये साक्षर कार्यक्रम जैसे लाभकारी काम किये जा रहे हैं। सभी मिले जुले प्रयासों का असर ये है कि 2011 की जनगणना के अनुसार अब हमारा देश लगभग 74% साक्षर हो चुका है, जिसमें केरल सर्वाधिक और बिहार सबसे कम साक्षर वाला राज्य बना है।