महिमा पाठक । बेटियां पिता के सिर का ताज होती हैं। यह बातें तो हमने कई दफा सुनी है लेकिन इसको अब प्रमाणित होता भी देख रहे हैं। पूरे कायनात की खुशी अपने पापा को देने वाली कायनात हमर शरीफ ने कम उम्र में इस बात को साबित कर दिया है। कायनात मात्र 10 साल की है और छत्तीसगढ़ की यह बेटी नेशनल शूटिंग चैंपियन में खेलने के लिए अपना नाम दर्ज करा चुकी हैं। इनकी सफलता के प्रेरणादायक कोई और नहीं बल्कि इनके खुद के पापा हैं। फादर्स डे पर आइए जानते हैं कायनात की 6 महीने की कड़ी मेहनत की वो कहानी जो प्रैक्टिस हॉल से अब नेशनल रेंज तक जा पहुंची है।
कायनात को शूटिंग का शौक है यह उन्हें विरासत के रूप में अपने पापा से मिला है। बचपन से ही कुछ अलग करने की ख्वाहिश रखने वाली यह बच्ची आज ऊंची ऊंचाइयों को छूने का ख्वाब देख रही है। हाथो में भरी बंदूक थामे निशाना साधने वाली कायनात का सपना है कि वह एक नेशनल लेवल की शूटिंग चैंपियनशिप जीते और वहा तिरंगा लहरा कर देश का नाम रोशन करें। कायनात के पिता का नाम मोहम्मद जमीरउद्दीन शरीफ है। शूटिंग के शौकीन मोहम्मद को यह कभी नहीं पता था कि उनका शौक कब उनकी बेटी का जुनून बनकर सामने आएगा। उन्होंने एक दिन अपनी बेटी से पूछा की वह क्या बनना चाहती हैं। तब कायनात ने शूटर बनने की इच्छा जाहिर की। कायनात बताती हैं कि उन्होंने बचपन से ही अपने पापा को रायफल पकड़े हुए देखा। महज 6 महीने पहले कायनात ने लक्ष्य शूटिंग अकैडमी में कोचिंग शुरू की। वहां पर प्रैक्टिस के दौरान उसे और उसके परिवार वालों को यह समझ आया कि वह इस फील्ड में महारत हासिल कर सकती है। बस उसी समय से शुरू हो गया निशानेबाजी बाजी का वह अध्याय जो अब थमने का नाम नहीं ले रहा है। कायनात 6 महीने की प्रैक्टिस के अंदर ही स्टेट लेवल और प्री नेशनल शूटिंग चैंपियनशिप में अपनी उपस्थिति दर्ज करा चुकी हैं और अब जल्दी ही वह नेशनल खेलने वाली हैं। कायनात की यह प्रतिभा के मुरीद उनके कोच और शूटिंग के कई चैंपियन भी हैं, जिन्हें उम्मीद है कि एक दिन यह खिलाड़ी इडिया स्कॉट के लिए सलेक्ट होगी।
पापा को भी था बचपन से शौक
कायनात के पिता मोहम्मद जमील उद्दीन को बचपन से शूटिंग का शौक था। यह शौक उन्हें अपने पिताजी और बड़े पापा को देख कर मिला था। वह अपने शौक को पूरा करने आर्मी में जाना चाहते थे लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। एनसीसी स्टूडेंट होने के नाते उन्होंने भी कई लेवल की शूटिंग चैंपियनशिप में हिस्सा लिया। वह कहते हैं कि अपना शौक पूरा करने के लिए उन्होंने बेटी के इस जुनून को अपने जीवन का हिस्सा बना लिया है।
हर दिन ले जाते हैं प्रेक्टिस के लिए
मोहम्मद बताते हैं कि हर दिन अपनी बेटी के साथ लक्ष्य एकेडमी जाकर शूटिंग की तालीम लेने में उसकी मदद करते हैं। इस दौरान मोहम्मद बेटी की रास्ता देखते 3 घंटे वहीं वक्त बिताते हैं। वह कहते हैं कि अगर बच्ची में काबिलियत है तो उसे उसे लक्ष्य तक पहुंचाने का जिम्मा मेरा है। अपनी बेटी की ख्वाहिश को पूरी करने के लिए उन्होंने कुछ समय पहले ही तीन लाख की कीमती रायफल उसके लिए खरीदी है जिसके जरिए अब प्रैक्टिस कर कायनात नेशनल खेलने के लिए तैयारी कर रही हैं। कायनात के शौक को पूरा करने के लिए काफी खर्च करना पड़ता है।
मोहम्मद बताते हैं कि राइफल की कीमत भी आसमान छूती है इसके अलावा शूटिंग के दौरान पहनने वाला किट ही करीब 30 हजार का आता है। इतना ही नही हवा को चीरने वाली गोलियां जो दिखती तो बहुत छोटी है लेकिन कीमत बहुत होती है। खर्च की बात करें तो शूटिंग की प्रैक्टिस में हर माह 20 का खर्च आता है जिसे मोहम्मद और उनकी पत्नी साजिदा हंसते-हंसते अपनी बेटी के लिए खर्च करने को तैयार हैं। वह कहते हैं कि बेटियां बेटों से कम नहीं होती और यही बात को साबित करना चाहते हैं।अब तक जितने भी खेल खेलने कायनात बाहर गई है उसके साथ उसके पेरेंट्स ढाल बनकर साथ जाते हैं और उसका उत्साह वर्धन करते हैं। मोहम्मद की माने तो पिता एक अच्छा गार्जियन के साथ-साथ अपने बच्चों का एक अच्छा दोस्त भी होना चाहिए जिससे बच्चे अपनी हर मन की बात शेयर कर सकें और अपने सपने को पूरा करने के लिए आगे बढ़ सके।