EKhabri (प्रीति शुक्ला)
इंसान की वाणी उसे अर्श से फ़र्श पर ला सकतीं है। वाणी की विनम्रता से हम मुश्किल से मुश्किल हालातों से निकल सकते हैं।
पर यही वाणी अगर कटू कहे तो सब किया धरा बेकार हो जाता है।वाणी, विनम्रता एवम विवेक अगर तीनों का संयमित प्रयोग करें तो जीवन की कठिन से कठिन समय में भी समाधान संभव है।
इसलिये जहां तक हो मिठे वचन कहिए। वैसा भी अंगरेजी में एक कहावत है, “आप शहद से ज्यादा मक्खी पकड़ सकते हैं न की सिरके से”।









