रायपुर,पूनम ऋतु सेन। हृदय संबंधी बीमारियों के प्रति जागरूकता के उद्देश्य से हर साल 29 सितंबर को विश्व हृदय दिवस मनाया जाता है। हृदय रोगों के तेजी से बढ़ने के कारण इसके प्रति लोगों को जागरूक रहने की जरूरत है ताकि इस बीमारी से दूर रहा जा सके।
इसी संबंध में आज हमारी बातचीत हुई ‘राजराजेश्वरी आयुर्वेदिक एवं क्षारसूत्र क्लीनिक’ के संस्थापक डॉक्टर “श्रीनिवास रॉव” से। डॉ रॉव एक्यूट एवं क्रोनिक डिसीज के जानकार हैं जो विगत 30 वर्षों से रायपुर, छत्तीसगढ़ में आयुर्वेद के क्षेत्र में अपनी सेवायें दे रहें हैं।
विश्व हार्ट दिवस के अवसर पर डॉक्टर राव से हुई बातचीत के कुछ अंश हम यहां आपसे साझा कर रहे हैं। आइये विस्तार से जानते हैं हम अपने दिल का ख्याल किस तरह रखें-
• किसी व्यक्ति को हार्ट से संबंधित बीमारियां है, इसका पता कैसे चलेगा? क्या है हृदय रोग के लक्षण?
डॉ राव के अनुसार- आज के वर्तमान जीवनशैली, गलत खानपान, मोटापा, तनाव, नशा आदि कारणों से दुनियाभर में बहुत सारे लोग कई गंभीर बीमारियों का शिकार हो जाते हैं। इनमें से कई बीमारियां जानलेवा होती हैं। हृदय संबंधी बीमारियां भी इन्हीं में से है, जिस कारण बहुत सारे लोगों की मौत हो जाती है। पहले जहां उम्रदराज लोगों में हृदय रोग की समस्या देखी जाती थी, अब कम उम्र में भी दिल से जुड़ी बीमारियां शुरू हो जाती हैं।
यदि 20 से 25 उम्र के बाद बार बार ACDT की समस्याएँ हों, लगातार चेस्ट में दर्द की शिकायत हों और किसी भी नार्मल हलचल के बाद तेज़ी से पसीने निकलने लगे तो इन सिम्पटम्स को बिना इग्नोर किये तुरंत किसी डॉक्टर से परामर्श लें और उनके कहे अनुसार उपचार लें।
• कोविड-19 के बाद पोस्ट कोविड इफ़ेक्ट के तौर पर हार्ट फेल होने का खतरा ज्यादा बढ़ रहा है, इसके क्या कारण हो सकते हैं?
कोरोना एक ऐसी बीमारी है जो किसी भी व्यक्ति के शारीरिक और मानसिक तंत्र पर अपना गहरा प्रभाव डालती है, पोस्ट कोविड इफ़ेक्ट के रूप में हर कोरोना प्रभावित व्यक्तियों पर अलग- अलग प्रभाव देखने को मिला है। हमारा दिल भी किसी पंप की तरह कार्य करता है, यदि उस पम्प के कार्य में कुछ रुकावट आये या कुछ दिक्कत आये तब वह अपना कार्य सही से नहीं कर पाएगा, जिसका सीधा असर हार्ट संबंधी रोगों से है।
कोविड-19 के बाद उसके प्रभाव से उठा व्यक्ति अन्य लोगों की तुलना में थोड़ा कम फिट रहता है, उसे वीकनेस की समस्या कुछ दिनों तक बने रहती है जिससे कभी BP लो होने जैसे कुछ लक्षण दिखते हैं और यही कारण दिल रूपी पम्प को अपने सही कार्य निष्पादन के लिए और मेहनत करनी पड़ती है जो वाल्व में प्रेसर डेवेलप करते हैं जिसका अंतिम रूप हार्ट फेलियर भी हो सकता है। इसके लिये किसी अच्छे कार्डियोलॉजिस्ट के देखरेख में अपना इलाज करवाना सही होगा।
• आयुर्वेद क्या कहता है हार्ट संबंधी बीमारियों को लेकर? क्या करें अपनी दिनचर्या में शामिल?
आयुर्वेद भी किसी भी बीमारी से बचने के लिए सही दिनचर्या को महत्वपूर्ण मानता है। सही समय पर उठना और सही पर सोना सबसे ज्यादा जरूरी है। डॉ रॉव आगे बताते हैं कि किसी भी व्यक्ति के लिए मॉर्निंग वॉक बेहद आवश्यक है और यदि आप हार्ट पेशेंट है तो उनके लिए और भी ज्यादा जरूरी हो जाता है। इसके अलावा कार्डियो एक्सरसाइज, साइकिलिंग, योगा जैसे कुछ अन्य माध्यमों से अपने शरीर को फिट रखकर हार्ट को भी सही सलामत बनाए रखा जा सकता है।
• प्रोटीन इंटेक्स के नाम पर बिकने वाले ईटिंग प्रोडक्ट्स कितने सही है?
इस विषय पर डॉ राव ने कहा कि आज की युवा पीढ़ी अच्छे शारीरिक संरचना पाने के लिए तरह तरह के स्टीरॉइड, प्रोटीन पाउडर और अन्य पदार्थों का सेवन कर रहे हैं, जबकि उन्हें उसका सही अनुपात ही नहीं पता है कि कितना कार्बोज उनके शरीर के लिए जरुरी है और कितना लेना हानिकारक। उन्होंने बिना किसी dietition के सलाह के भ्रामक खाद्य पदार्थों का सेवन नहीं करने की सलाह दी।
• हृदय रोगों से बचने के लिए कुछ प्री टेस्ट होते हैं, ये टेस्ट कौन सी उम्र में कराया जाना सही है?
बिगड़ी हुई जीवनशैली ने नई नई बीमारियों को जगह दी है, जिसमें मोटापा, डाइबिटीज़, थायरोइड आदि प्रमुख हैं। यदि आप ऐसे ही किसी बीमारी से ग्रस्त हैं तो समय समय पर कुछ टेस्ट करवाने जरूरी हो जाते हैं जो हमारे हृदय के लिए आवश्यक है। डॉ रॉव ने 40+ की उम्र के बाद से हर 6 महीने के अंतराल में किसी कार्डियक स्पेशलिस्ट से संपर्क करने की सलाह दी है। साथ ही उन्होंने कहा ब्लड रूटीन, कोलेस्ट्रोल बेस्ड जैसे टेस्ट हार्ट रोगों के खतरों से हमे आगाह करता है। किसी भी हृदय रोग विशेषज्ञ की सलाह से आप ये सारे टेस्ट करवा सकते हैं।
• अल्कोहल और स्मोकिंग हृदय में क्या असर डालते हैं?
डॉ रॉव ने बताया कि ऐसी भ्रांति फैली हुई है कि अल्कोहल का नित सेवन करते रहने से कभी भी हार्ट की कोई बीमारी नहीं होती, इससे हार्ट अटैक कभी नहीं आता, जबकि सच तो ये है कि आप किसी भी चीज़ की अति करें तो वह नुकसान पहुँचाती ही है। कई बुक्स में लिखा होता है कि 30ml तक रोज अल्कोहल लेने से हृदय रोगों से बचा जा सकता है किंतु उसके उलट कोई भी व्यक्ति अपने सीमाओं से बाहर जाकर उसका सेवन करने लग जाता है जो स्वस्थ शरीर के लिहाज से बिल्कुल सही नहीं है। साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि स्मोकिंग किसी भी अवस्था में सही नहीं है, उसका सेवन करना हमारे शरीर के लिए नुकसानदायक है।
• वर्ल्ड हार्ट डे के उपलक्ष्य में आप हमारे पाठकों को क्या संदेश देना चाहेंगे?
डॉ राव के अनुसार “stress is the main cause for any heart disease” सेहतमंद दिल के लिए तनाव से मुक्ति जरुरी है, किसी भी छोटी से छोटी बातों का तनाव लेने से बचिए और खान पान में बेहतर ख्याल रखिये। कुछ भी खाइये कुछ भी करिये लेकिन डेली वर्कआउट करना अपने रूटीन में शामिल करिये। कोशिश करिये की जंक फूड से दूरी बनाये और अपने दिल को खुशनुमा रखने के लिए आज से ही शुरुआत करिये ताकि आने वाले दिनों में आप बेहतर रूप से अपना जीवन जी सकें।
लाभप्रद जानकारी देने के लिए ‘डॉ श्रीनिवास राव’ का Ekhabri की टीम की ओर से आभार व विश्व हृदय दिवस की शुभकामनाएं।