बच्चे का मां से जुड़ाव अपने आप में अनोखा होता है। वह उसके हर हाव भाव के प्रति बेहद संवेदनशील होता है। एक शोध के मुताबिक मां का थोड़ा सा भी अलग तरीके का व्यवहार बच्चे पर प्रभाव डाल सकता है। यह अध्ययन अमेरिकन जर्नल आफ ह्यूमन बायोलाजी में प्रकाशित किया गया है।
शोधकर्ताओं ने पाया कि 12 महीनों में अपने बच्चों के साथ मां का तटस्थ या अजीब व्यवहार मिथाइलेशन नामक एपिजेनेटिक परिवर्तन से जुड़ा है। एपिजेनिटिक डीएनए से स्वतंत्र एक प्रक्रिया है, जो जीन व्यवहार को प्रभावित करती है। जब बच्चे सात साल के करीब होते हैं तो एनआर3सी1 नामक जीन पर मीथेन और कार्बन अणुओं का अधिक प्रभाव देखा जाता है। यह जीन तनाव के प्रति शरीर की प्रतिक्रिया को नियमित करने में सहायक है।
शोधकर्ताओं ने सबसे पहले 12 महीने के बच्चों और उनकी मां के व्यवहार पर अध्ययन किया। शोधकर्ताओं को आशा के अनुरूप परिणाम मिले कि सामाजिक संपर्क में एक छोटा अंतर भी एपिजेनेटिक परिवर्तन से जुड़ा हो सकता है। फिर इस व्यवहार की तुलना सात साल की उम्र में बच्चे के खून के सैंपल से की गई। इसमें पता चला कि मां का बच्चे के प्रति अजीब या तटस्थ व्यवहार होने पर एनआर3सी1 जीन पर मिथिलिकरण की वृद्धि के साथ संबंद्ध होता है।