
बस्तर की राजनीति को प्रदेश ही नहीं राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता मिल रही है। भाजपा और कांग्रेस दोनों दल के मुखिया बस्तर से ही है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष किरण सिंह देव और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज के सामने परीक्षा की घड़ी है। प्रत्याशी कोई भी हो, लेकिन इन दोनो की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। दीपक बैज बस्तर से सांसद है, उन्होंने 2019 में बीजेपी के बैदूराम को हराया था। मगर, 2023 विधानसभा चुनाव में बीजेपी मंडल अध्यक्ष विनायक से उनको हार मिली थी, इसलिए सांसद टिकट पाने मे वँचित रह गए। अब देखना यह होगा कि किस दल के प्रदेश अध्यक्ष अपनी साख बचा पाते हैं।
बस्तर संसदीय सीट पर इस बार अनुभव और वरिष्ठता के सामने युवा और नए प्रत्याशी का मुकाबला है। भाजपा और कांग्रेस दोनों प्रत्याशियों की राजनीति की शुरूआत अपने ही गांव के सबसे छोटे चुनाव सरपंच से हुई थी। दोनों ने ही गांव का सरपंच बनकर अपनी राजनीति की शुरुआत की और ये दोनों देश के सबसे बड़े चुनाव सांसद के लिए मैदान में हैं। कांग्रेस प्रत्याशी कवासी लखमा सुकमा जिले के नागारास ग्राम पंचायत के सरपंच और भाजपा प्रत्याशी महेश कश्यप ग्राम पंचायत कलचा के सरपंच रहे। दोनों का मुकाबला रोचक हो गया है। हालांकि बस्तर से ही दोनो पार्टी बीजेपी और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष आते है। ऐसे मे बस्तर का मुकाबला ओर भी दिलचस्प हो जाता है।
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज का कहना है कि कांग्रेस को छत्तीसगढ़ में जबरदस्त फायदा होगा। पूरे 11 सीटों में मजबूती के साथ चुनाव लड़ रहे हैं। हमारे प्रत्याशी जनता के बीच में जनसंपर्क कर रहे हैं। इसका फायदा कांग्रेस को मिलेगा। बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष किरण सिंहदेव का कहना है कि चुनाव को चुनाव की दृष्टि से लेकर गंभीरता से बीजेपी चल रही है। बस्तर की सीट भी हम जीतेंगे। अब देखना यह् होगा कि लखमा को जिताने में दीपक की रौशनी और महेश को संसद तक पहुंचाने में किरण का कमाल कितना असरकारी होगा।