भारत-पाकिस्तान सीमा के पार अब पंजाब की तरह राजस्थान के किसान भी खेती कर सकेंगे। इसके सीमा सुरक्षा बल ने अनुमति देने की बात कही है। इससे कुछ दिन पहले बाड़मेर सेक्टर के डीआईजी ने चौहटन के सरला इलाके में किसानों के साथ बातचीत की थी। सीमा सुरक्षा बल ने खेती के लिए खोले जाने वाले बॉर्डर पर नए गेट लगवाए हैं। सीमा सुरक्षा बल की अनुमति के बाद 28 साल बाद यहां के किसान सीता के पार स्थित अपने खेतों पर फिर से खेती कर सकेंगे।
राजस्थान ऐसे कई किसान हैं, जिनकी 80 फ़ीसदी जमीन तारबंदी और जीरो पॉइंट के बीच है। इन किसानों को ना तो 28 साल बाद भी मुआवजा मिला है और ना ही इन्हें खेती करने दी जा रही है। इसी को लेकर किसान लगातार मांग कर रहे थे। साल 2013 में हाईकोर्ट ने एक निर्णय में कहा था कि या तो मुआवजा दिया जाए और या खेती करने दी जाए। अब जाकर किसानों को खेती करने का अधिकार सीमा सुरक्षा बल ने दिया है।
1992 में इस तरीके से प्रभावित किसानों की संख्या 1959 करीब थी, लेकिन अब प्रभावित किसानों की संख्या 10 हजार के आसपास हो गई है। बॉर्डर पर रामसर सेड़वा चौहटन गडरा इलाके के किसान प्रभावित हैं। जिन किसानों के खेत तारबंदी और जीरो फेंसिंग के पास है उन किसानों को पास बनाने के लिए अपनी जमाबंदी और आईडी कार्ड सीमा चौकियों में जमा करवाने पड़ेंगे। उसके बाद बीएसएफ की ओर से उनका फोटो युक्त आईडी कार्ड बनाया जाएगा।
बाड़मेर सेक्टर डीआईजी विनीत कुमार ने बताया था कि जीरो पॉइंट पर किसान लगातार मांग कर रहे थे। मैंने किसानों के साथ बैठक करके यह फैसला किया है कि किसान अब जीरो पॉइंट पर अपनी खेती कर सकेंगे। खेती के लिए किसानों को सुबह 9:00 बजे एंट्री दी जाएगी और उसके बाद शाम 5:00 बजे कड़ी चेकिंग के साथ वापसी होगी। किसान 8 घंटे तक अपने खेत में खेती कर सकेंगे, महिलाओं को भी खेती के लिए जाने की छूट है और इसके लिए सीमा सुरक्षा बल अलग से ब्लू पीस पर रूम तैयार करवा रही है।
राजस्थान से लगती भारत-पाक सीमा पर साल 1992 में सीमा सुरक्षा बल की ओर से तारबंदी कर दी गई थी जिसके बाद किसान लगातार यह मांग कर रहे थे कि उन्हें अपनी जमीन पर खेती करने दी जाए, 28 साल बाद अब सीमा सुरक्षा बल ने उन्हें खेती करने की छूट दी है।