बेंगलुरु में पहली ड्राइवरलेस मेट्रो ट्रेन चलने वाली है। ये ट्रेन चीन के शंघाई से चेन्नई पहुंच चुकी है। ये ट्रेन छह कोच वाली है, जो 20 दिन की यात्रा के बाद इलेक्ट्रॉनिक सिटी के हेब्बागोडी डिपो पहुंची है। बिना ड्राइवर चलने वाली मेट्रो ट्रेन को चीन में सीआरआरसी नानजिंग पुजेन कंपनी लिमिटेड ने बनाया है। मेट्रो ट्रेन का आगमन बेंगलुरु के मेट्रो नेटवर्क में हो चुका है। अभी यह चीन से आई है, लेकिन बाद में मेक इन इंडिया पहल के तहत टीटागढ़ रेल सिस्टम्स लिमिटेड के साथ साझेदारी में लोकल लेवल पर ही बनाए जाएंगे।
बिना ड्राइवर वाली इन मेट्रो ट्रेनों की शुरुआत बेंगलुरु मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड की शहर की मेट्रो प्रणाली में क्रांति लाने की महत्वाकांक्षी योजना का हिस्सा है। ये मेट्रो ट्रेन कम्युनिकेशन बेस्ड ट्रेन कंट्रोल सिग्नलिंग सिस्टम से चलती है। इसके लिए एडवांस और मॉडर्न रेडियो कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल किया गया है। ये टेक्नोलॉजी की मदद से मेट्रो के कंट्रोल के बारे में और ये कैसी चल रही है। इस आसानी से पता लगाया जा सकेगा।
इस मेट्रो ट्रेन के चलने से पहले कई टेस्ट होने वाले हैं। मेट्रो ट्रेन को हेब्बागोडी डिपो में चीनी इंजीनियरों की देखरेख में सिग्नलिंग, ट्रैकिंग और दूसरे सभी टेस्ट के लिए कठोर परीक्षण से गुजरना होगा। मार्च तक ट्रेन के आरवी रोड से बोम्मसंद्रा खंड पर 18.82 किलोमीटर की दूरी तय करते हुए मेनलाइन परीक्षण शुरू होने की उम्मीद की जा रही है।
मेट्रो ट्रेन पहले ही भारत आने वाली थी, लेकिन 2021 में कोचों की आपूर्ति में असफलताओं के कारण येलो लाइन की तैनाती में देरी हुई थी। अब संशोधित समयसीमा में येलो लाइन को चालू करने के लिए 2024 का लक्ष्य रखा गया है। 5,744 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत वाली रीच 5 परियोजना बेंगलुरु के यात्रियों के लिए आशाजनक है। एक बार चालू होने के बाद मेट्रो इलेक्ट्रॉनिक सिटी में आईटी हब से कनेक्टिविटी बढ़ाएगा, होसुर रोड पर ट्रैफिक की भीड़ को भी कम किया जाएगा।