नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के बिजनौर से फर्जी तरीके से बेटे का जन्म प्रमाण पत्र बनवाने व इसी आधार पर भारतीय राजनयिक पासपोर्ट के लिए आवेदन करना एक वरिष्ठ राजनयिक को भारी पड़ गया। दिल्ली हाई कोर्ट ने इस मामले में राहत देने से केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) के आदेश को रद करते हुए कहा कि वरिष्ठ रायनयिक पर गंभीर प्रकृति के आरोप लगे हैं और इसके बावजूद भी केवल दो साल की अवधि के लिए निचले पद पर पदावनत के अनुशासन समिति के आदेश को कैट को रद नहीं करना चाहिए था। न्यायमूर्ति वी कामेश्वर राव और न्यायमूर्ति अनूप कुमार मेंदीरत्ता की पीठ ने कैट के आदेश को अस्थिर करार देते हुए रद कर दिया।केंद्र सरकार ने वर्ष 2021 में कैट द्वारा दिए गए निर्णय को हाई कोर्ट में चुनाैती दी थी।