अनुकूलता अगर भोजन है, प्रतिकूलता और चुनौतियां वरदान। ईश्वर की तरफ से मिलने वाला हर एक पुष्प अगर वरदान है तो हर एक कांटा भी वरदान ही समझें। मतलब….अगर आज मिले सुख से आप खुश हैं तो कभी अगर कोई दुख, विपदा, अड़चन आ जाए तो घबराएं नहीं.. क्या पता वो अगले किसी सुख की तैयारी हो।
वाल्मीकि रामायण में वर्णन है कि सुग्रीव जब माता सीता की खोज में वानर वीरों को पृथ्वी की अलग-अलग दिशाओं में भेज रहे थे, तो उनके साथ-साथ उन्हें ये भी बता रहे थे कि किस दिशा में तुम्हें कौन सा स्थान या देश मिलेगा और किस दिशा में तुम्हें जाना चाहिए या नहीं जाना चाहिये।
प्रभु श्रीराम सुग्रीव का ये भगौलिक ज्ञान देखकर हतप्रभ थे। उन्होंने सुग्रीव से पूछा कि सुग्रीव तुमको ये सब कैसे पता? तो सुग्रीव ने उनसे कहा कि ”मैं बाली के भय से जब मारा-मारा फिर रहा था तब पूरी पृथ्वी पर कहीं शरण नहीं मिली और इसी चक्कर में मैंने पूरी पृथ्वी छान मारी और इसी दौरान मुझे अंजाने में ही सारे भूगोल का भी ज्ञान हो गया।”
अब अगर सुग्रीव पर ये संकट न आया होता तो उन्हें भूगोल का इतना उत्तम ज्ञान नहीं होता और माता जानकी को खोजना कितना कठिन हो जाता? इसीलिए किसी ने बड़ी अच्छी बात कही है।