रायपुर/अंबिकापुर। परसा कोल ब्लॉक आवंटन का विरोध कर रहे ग्रामीणों के साथ सरगुजा की जिला पंचायत भी खड़ी हो गई है। सरगुजा जिला पंचायत ने बकायदा एक प्रस्ताव पारित कर घाटबर्रा और साल्ही ग्राम पंचायत के ग्रामीणों की मांग का समर्थन किया है। इसमें कोल ब्लॉक आवंटन के प्रस्ताव पर दोबारा ग्राम सभा बुलाने की मांग की है। जिला पंचायत की अध्यक्ष मधु सिंह ने कलेक्टर को पत्र लिखकर दोबारा ग्राम सभा कराने की बात की है। ऐसा ही पत्र सरगुजा जिला पंचायत में कांग्रेस के सभी सदस्यों ने भी लिखा है। मुख्य पत्र में जिला पंचायत अध्यक्ष मधु सिंह ने बताया है, घाटबर्रा और साल्ही के ग्रामीणों ने बताया है कि कोयला खनन के लिए ग्राम सभा से जो अनुमति ली गई है वह शंकास्पद है। ग्रामीणों का कहना है, 28 अगस्त 2017 को फतेहपुर, 24 जनवरी 2018 को हरिहरपुर और 27 जनवरी 2018 को साल्ही गांव में हुई ग्राम सभा में कोयला उत्खनन की अनुमति से जुड़े किसी प्रस्ताव पर चर्चा ही नहीं हुई थी। इसे बाद में दस्तावेजों में शामिल कर लिया गया, जो कि अवैध है। ग्रामीणों का कहना है, वे हर मंच पर शिकायत कर चुके हैं, लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। आंदोलन कर रहे ग्रामीणों का कहना है कि जो लोग खदानों का समर्थन कर रहे हैं, वे उनके गांव में नहीं रहते। वहीं खदान समर्थकों का कहना है कि आंदोलन कर रहे लोग उनके क्षेत्र में नहीं रहते। ऐसे में ग्रामीणों का मत जानने के लिए इन गांवों में पूर्ण कोरम के साथ विशेष ग्राम सभा का आयोजन एक साथ हो ताकि एक-एक परिवार का स्पष्ट मत सामने आ सके। जिला पंचायत अध्यक्ष ने सामान्य सभा में पारित प्रस्ताव की जानकारी देते हुए कलेक्टर को लिखा है, त्रि-स्तरीय पंचायती राज व्यवस्था तभी सुदृढ़ हो सकती है जब पंचायतों के अधिकारों का सम्मान हो।
नो गो एरिया और हाथी कॉरीडोर का भी जिक्र
सरगुजा जिला पंचायत अध्यक्ष ने अपने पत्र में क्षेत्र की जैव विविधता का भी जिक्र किया है। मधु सिंह ने लिखा है, यह वही क्षेत्र है जिसे यूपीए सरकार के समय इसकी पर्यावरणीय स्थिति को देखते हुए नो गो एरिया घोषित किया गया था। यानी इस क्षेत्र में खनन पर रोक लगाई गई थी। यह इलाका हाथियों का विचारण क्षेत्र भी है।
आदित्येश्वर शरण सिंहदेव लाए थे प्रस्ताव
जिला पंचायत की सामान्य सभा में यह प्रस्ताव उपाध्यक्ष आदित्येश्वर शरण सिंहदेव लाए थे। उन्होंने बताया, पिछले दिनों उदयपुर ब्लॉक में जनसंपर्क के दौरान हरिहरपुर में धरना दे रहे लोगों से मुलाकात हुई थी। उन्होंने बताया था, ग्रामसभा की फर्जी अनुमति लगाकर कोल ब्लॉक आवंटित करा लिया गया है। ग्रामीणों ने फिर से ग्राम सभा कराने की मांग की थी। बाद में सामान्य सभा की बैठक में निर्णय लिया गया कि ग्रामीणों की मांग का हम समर्थन करेंगे। आदित्येश्वर शरण सिंहदेव, प्रदेश के पंचायत, ग्रामीण विकास और स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव के भतीजे भी हैं। परसा कोल ब्लॉक में खनन के खिलाफ हरिहरपुर में आंदोलन कर रहे ग्रामीणों से आदित्येश्वर शरण सिंहदेव ने पिछले महीने मुलाकात की थी।
ग्राम सभा के प्रस्ताव पर अटकी है जंगल बचाने की लड़ाई
हसदेव अरण्य उत्तर छत्तीसगढ़ के एक लाख 70 हजार हेक्टेयर में फैला विशाल और घना जंगल है। इसमें बहुत से कोल ब्लॉक भी हैं। केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने जुलाई 2019 में ही यहां परसा कोयला खदान को पर्यावरणीय मंजूरी प्रदान की थी। आगे-पीछे कुछ दूसरी खदानों को भी मंजूरी दे दी गई। उसके साथ ही संकट बढ़ा और विरोध शुरू हुआ। हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति सहित स्थानीय ग्रामीणों ने आरोप लगाया था, साल 2017-18 के जिन प्रस्ताव के आधार पर यह स्वीकृति दी गई है वह उनकी ग्राम सभा की बैठक में पारित ही नहीं हुए थे। उन्हें बाद में अवैध तरीके सरकारी दस्तावेजों में शामिल कर लिया गया। सरकार ने बात नहीं सुनी और अलग-अलग तिथियों पर अगली मंजूरी भी जारी कर दी गई। मार्च-अप्रैल में राज्य सरकार ने वन भूमि को खनन के लिए देने की मंजूरी जारी की। 26 अप्रैल को कंपनी ने बिना अनुमति के ही पेड़ों की कटाई शुरू कर दी। स्थानीय ग्रामीणों के विरोध के बाद वे भागे।