बड़े स्तर पर हुए एक आनुवंशिक अध्ययन में पाया गया कि किसी बुजुर्ग की लंबाई उसके स्वास्थ्य कारकों को प्रभावित कर सकती है। अध्ययन में जहां लंबाई व दिल की बीमारियों के कम खतरे के बीच के संबंधों को जोड़ा गया है, वहीं लंबाई व पेरिफेरल न्यूरोपैथी तथा सर्कुलेटरी डिसआर्डर के अधिक खतरे पर भी प्रकाश डाला गया है। यानी, लंबाई जहां कुछ बीमारियों से बचाव में भूमिका निभा सकती है, वहीं कुछ के लिए जोखिम कारक भी साबित हो सकती है।
पेरिफेरल न्यूरोपैथी जहां मस्तिष्क व रीढ़ की हड्डी के बाहर स्थित नसों के नुकसान का परिणाम है, वहीं सर्कुलेटरी डिसआर्डर हृदय से जुड़ी अवस्था है, जिसमें रक्तवाहिकाएं कमजोर पड़ जाती हैं। अध्ययन निष्कर्ष पीएलओएस जेनेटिक्स नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है। अमेरिका स्थित वीए ईस्टर्न कोलोराडो हेल्थ केयर सिस्टम से जुड़े व अध्ययन के नेतृत्वकर्ता डा. श्रीधरन राघवन कहते हैं कि उनका अध्ययन महामारी विज्ञान के परिप्रेक्ष्य में लंबाई व स्वास्थ्य परिस्थितियों के संबंधों के बारे में समझ विकसित करता है।
डा. राघवन कहते हैं, “अध्ययन निष्कर्ष के आधार पर बीमारियों का इलाज शुरू करने से पहले इस दिशा में और शोध की जरूरत है। हालांकि, यह बुजुर्गों के जीवन में लंबाई व चिकित्सा परिस्थितियों के संबंधों पर अहम प्रकाश डालता है।” शोधकर्ताओं ने अध्ययन के दौरान 2.80 लाख से ज्यादा बुजुर्गों के आनुवंशिक व चिकित्सा स्थितियों से जुड़े आंकड़ों का विश्लेषण किया।