बिलासपुर: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक छत के नीचे पति के साथ अलग कमरे में सोने को मानसिक क्रूरता मानते हुए तलाक की याचिका को मंजूरी दे दी है। बेमेतरा जिले के फैमिली कोर्ट में पति-पत्नी के बीच विवाद के बाद पति की तलाक की याचिका पर हाईकोर्ट ने यह महत्वपूर्ण फैसला सुनाया। कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि एक ही घर में रहने के बावजूद बिना किसी उचित कारण के पत्नी द्वारा अलग कमरे में सोना पति के प्रति मानसिक क्रूरता माना जाएगा।
मामले का संक्षिप्त विवरण
यह मामला बेमेतरा का है, जहां अप्रैल 2021 में एक जोड़े की शादी हुई थी। शादी के बाद पत्नी ने विवाद करना शुरू कर दिया और पति के साथ शारीरिक संबंध बनाने से इंकार कर दिया, यह दावा करते हुए कि उसका किसी अन्य महिला से संबंध है। हालांकि, बाद में पत्नी ने समझौता किया, लेकिन कुछ दिनों बाद विवाद फिर शुरू हो गया। पत्नी ने पति के साथ रहने से इंकार कर दिया और दोनों अलग-अलग कमरों में रहने लगे। कई सामाजिक बैठकों के बावजूद विवाद का समाधान नहीं निकल पाया और जनवरी 2022 से पत्नी अलग कमरे में सोने लगी। इस पर पति ने मानसिक परेशानियों के चलते तलाक की याचिका फैमिली कोर्ट में दायर की।
हाईकोर्ट की कार्रवाई
पत्नी ने अपने बयान में पति के आरोपों को नकारते हुए तलाक की याचिका को खारिज करने की मांग की। उसने कोर्ट को बताया कि शादी की रात शारीरिक संबंध बने थे और अक्टूबर 2021 तक उनका वैवाहिक जीवन शांतिपूर्ण रहा। पत्नी ने कहा कि उसने पति को ममेरी बहन के साथ उसके व्यवहार की शिकायत की थी और पति को भी उसकी भाभी के साथ संबंधों पर संदेह था। फैमिली कोर्ट ने पति की याचिका को स्वीकार कर तलाक को मंजूरी दी। पत्नी ने इस फैसले को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में अपील दायर की, जिसे डीविजन बेंच ने खारिज कर दिया।